जुनैद खान (फोटो-सोशल मीडिया)
मुंबई: फिल्म ‘महाराज’ से ओटीटी पर अपना डेब्यू करने वाले अभिनेता जुनैद खान जल्द ही एक्ट्रेस खुशी कपूर के साथ फिल्म ‘लवयापा’ में नजर आएंगे। जुनैद बॉलीवुड स्टार आमिर खान के बेटे हैं जिन्होंने 2014 में अमेरिका में थिएटर स्कूल में रहकर करीब 2 साल तक ट्रेनिंग ली और उसके बाद 2017 मैं भारत आकर करीब 110 नाटकों का हिस्सा रहे हैं। आनेवाले मार्च 2025 में भी वे एक थिएटर शो का हिस्सा हैं। 7 फरवरी को रिलीज होने जा रही उनकी फिल्म ‘लवयापा’ को लेकर उन्होंने नवभारत से एक्सक्लूसिव बातचीत की जहां उन्होंने अपने करियर, इस फिल्म और अन्य विषयों पर चर्चा की। पेश है इस बातचीत के कुछ अंश…
नर्वस तो नहीं लेकिन हम सब बेहद उत्साहित हैं क्योंकि मुझे इस फिल्म के गाने इसकी कहानी बेहद पसंद आई थी। मैंने इसके पहले ‘लाल सिंह चड्ढा’ के लिए निर्देशक अद्वैत चंदन के साथ करीब 4 दिन तक टेस्ट शूट किया था और उस फिल्म के लिए मैंने ऑडिशन भी दिया था। मैं उतना कॉंफिडेंट नहीं था कि मैं इसे कर पाऊंगा या नहीं क्योंकि फिल्म में जो किरदार है वो मेरी पर्सनालिटी से बेहद दूर है। लेकिन ‘लवयापा’ के मेकर्स ने मुझ पर जो भरोसा जताया उसके कारण मैं इस फिल्म को कर पाया हूं। एक अभिनेता के तौर पर मैं चाहूंगा कि मेरी फिल्म अधिक से अधिक लोग देखें. ‘महाराज’ ओटीटी पर आई थी लेकिन ‘लवयापा’ सिनेमाघरों में आ रही है, तो मेकर्स ज्यादा बेहतर जानते हैं कि किस प्रोजेक्ट को कहां पर लाना उचित होगा। मेरी अब यही इच्छा है कि लोग मेरी फिल्म को देखे।
ऐसा नहीं है क्योंकि मैं किरदार से ज्यादा कहानी से कनेक्ट होता हूं। मुझे इस फिल्म की स्टोरी बहुत पसंद आई थी। अद्वैत जी ‘फैंटम’ बना रहे थे और मैं उनके साथ काम करना चाहता था और मुझे इस फिल्म के माध्यम से ये मौका। एक एक्टर के रूप में जब आपको अच्छी कहानी मिले तो उसे ज्यादा सोचे बिना कर लेना चाहिए।
मैंने हमेशा से बेहद इंट्रोवर्ट किस्म का व्यक्ति हूं। इंडस्ट्री में हर किसी की अपनी जर्नी होती है। अब जब मेरी फिल्म आ रही है तो मुझे भी कई जगह प्रमोशन करने जाना पड़ रहा है। सबका अपना तरीका है और मैं किसी को जज नहीं करना चाहूंगा।
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ऐसा हुआ तो मैं वो फिल्म जरूर करना चाहूंगा (हंसते हुए). मुझे कॉमेडी करने में बड़ा मजा आता है। लेकिन मैं अपने साथ किस एक्टर को देखना चाहता हूं, ये निर्णय मैं ये फैसला उस निर्देशक पर छोडूंगा क्योंकि उन्हें बेहतर समझ होती है कि कौन सही होगा कौन नहीं।
नहीं, वो कभी अपनी किसी चीज को हम पर लागू नहीं करते और ना ही हस्तक्षेप करते हैं। वे हमें स्वतंत्र रूप से अपना काम करने देते हैं ताकि हम अपना रास्ता खुद बना सके। हां, अगर हमारे मन में कोई प्रश्न होता है तो वे हमें जरूर सलाह देते हैं। एक बात जो वो हमेशा कहते हैं वो ये है कि ‘हमेशा अपने दिल की सुनों’ और उन्होंने भी अपने जीवन में यही किया है और हमेशा भी यही सिखाते हैं।
बचपन में तो नहीं लेकिन जब मैं कॉलेज में था तब मैंने निर्णय लिया था कि मैं एक एक्टर बनना चाहता हूं। उस समय कॉलेज में परफॉर्म करना मुझे बहुत पसंद था। उस समय कई ऐसे बच्चे थे जो सभी के सामने खुलकर बात करते थे और उनकी पब्लिक स्पीकिंग देखकर मैं बड़ा आकर्षित हुआ। इस कारण मैं थिएटर की तरफ आकर्षित हुआ और इसके बाद मैंने थिएटर स्कूल जाकर अपनी एक्टिंग की यात्रा शुरू की।