
dharmendra के मशहूर dialogues (सौ. Design)
Dharmendra Famous Dialogue: बॉलीवुड के लीजेंडरी अभिनेता और ‘ही-मैन’ कहलाने वाले धर्मेंद्र अब हमारे बीच नहीं रहे। 89 वर्ष की उम्र में उन्होंने मुंबई के जुहू स्थित अपने निवास पर अंतिम सांस ली। लंबे समय से चल रही बीमारी के कारण उनका स्वास्थ्य लगातार गिर रहा था। 12 नवंबर को उन्हें परिवार की इच्छा पर ब्रीच कैंडी अस्पताल से डिस्चार्ज कर घर लाया गया था, जहां पिछले कई दिनों से उनका इलाज चल रहा था। लेकिन लंबें समय तक बीमारी से लड़ने के बाद उन्होंने 24 नवंबर को अंतिम सांस लेते हुए इस दुनिया को अलविदा कह दिया। वहीं अपने फैंस के लिए धर्मेंद्र अपनी कई फिल्में और यादगार डायलॉग छोड़ गए है, जिससे उन्हें सदियों तक याद रखा जाएगा।
8 दिसंबर 1935 को पंजाब के फगवारा में जन्मे धर्मेंद्र ने अपनी सादगी, अभिनय कौशल और दमदार व्यक्तित्व से भारतीय सिनेमा में अमिट छाप छोड़ी। उन्होंने 1960 में रिलीज़ हुई फिल्म ‘दिल भी तेरा हम भी तेरे’ से अपने फिल्मी करियर की शुरुआत की थी। करीब छह दशकों के लंबे करियर में उन्होंने 250 से अधिक फिल्मों में अभिनय किया और अपने दौर के सबसे सफल, लोकप्रिय और सम्मानित कलाकारों में शामिल हुए। और लाखों फैंस के प्यार को कमाया।
धर्मेंद्र केवल एक्शन हीरो ही नहीं, बल्कि संवाद बोलने की कला में भी बेमिसाल थे। उनके कई डायलॉग आज भी दर्शकों के बीच उतने ही लोकप्रिय हैं जितने अपने ज़माने में थे।
फिल्म शोले (1975) में वीरू बने धर्मेंद्र का यह प्रसिद्ध संवाद आज भी लोगों की ज़ुबान पर है: “बसंती, इन कुत्तों के सामने मत नाचना।” रमेश सिप्पी की इस ब्लॉकबस्टर फिल्म को सलीम-जावेद ने लिखा था और इसमें अमिताभ बच्चन, जया बच्चन, अमजद खान और असरानी जैसे दिग्गज कलाकारों ने अभिनय किया था।

1973 की फिल्म यादों की बारात में धर्मेंद्र का फेमस डायलॉग: “कुत्ते, कमीने, मैं तेरा खून पी जाऊंगा” फिल्मी इतिहास के सबसे लोकप्रिय संवादों में गिना जाता है।

‘शोले‘ का एक और आइकॉनिक सीन तब सामने आता है जब वीरू नशे में ऊपर चढ़कर पूरी गांव से बात करता है: “गांव वालों, तुमको मेरा आख़िरी सलाम… गुडबाय… इस स्टोरी में इमोशन है, ड्रामा है, ट्रेजेडी है…” यह दृश्य आज भी दर्शकों को हंसा देता है।

फिल्म लाइफ इन ए मेट्रो (2007) में उनके किरदार अमोल ने एक गहरी बात कही थी: “दिल के मामले में हमेशा दिल की सुननी चाहिए।” यह डायलॉग रिश्तों और भावनाओं की गहराई को बखूबी दर्शाता है।
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फिल्म लोहा में निभाए इंस्पेक्टर अमर के किरदार ने एक बार फिर उनके एक्शन स्टार की छवि को मजबूत किया। उनका डायलॉग: “तुम्हारी ये गोली लोहे के शरीर के पार नहीं जा सकती” उनके सख्त अंदाज़ लोगों के लिए प्रतीक बन गया था।
धर्मेंद्र के डायलॉग, अभिनय और व्यक्तित्व ने हिंदी सिनेमा का एक पूरा युग गढ़ा। उनकी यादें और उनका काम आने वाली पीढ़ियों को प्रेरित करता रहेगा।






