दीपिका पादुकोण, राम गोपाल वर्मा (फोटो-सोर्स,सोशल मीडिया)
Ram Gopal Varma-Deepika Padukone: बॉलीवुड की चमक-धमक से भरी दुनिया के पीछे एक कड़वा सच छुपा होता है, तो अनियमित शूटिंग शेड्यूल का है। कभी-कभी कलाकारों को 12-14 घंटे तक लगातार शूट करना पड़ता है, तो कई बार एक सीन के लिए तीन दिन तक सेट पर मौजूद रहना पड़ता है।
ऐसे में जब अभिनेत्री दीपिका पादुकोण ने अपनी अगली फिल्म के लिए 8 घंटे की फिक्स शिफ्ट की मांग की, तो यह मामला पूरे इंडस्ट्री में चर्चा का विषय बन गया। इस मामले पर हर कोई तरह-तरह की प्रतिक्रिया दे रहा है।
दीपिका, जो पिछले साल ही मां बनी हैं, जल्द ही संदीप रेड्डी वांगा की अपकमिंग फिल्म “स्पिरिट” में प्रभास के अपोजिट नजर आने वाली थीं। लेकिन रिपोर्ट्स के अनुसार, अभिनेत्री ने फिल्म के लिए ज्यादा फीस और 8 घंटे की तय शिफ्ट की शर्त रखी, जिसे मेकर्स ने मानने से इनकार कर दिया। नतीजतन, दीपिका को फिल्म से बाहर कर दिया गया और उनकी जगह तृप्ति डिमरी को कास्ट किया गया।
यह मामला यहीं नहीं थमा। इस मुद्दे पर फिल्मी गलियारों में बहस छिड़ गई कि क्या कलाकारों को 8 घंटे की तय शिफ्ट की मांग करने का अधिकार है या नहीं। कई सेलेब्स ने दीपिका के इस स्टैंड को सपोर्ट किया, तो कुछ ने इसे प्रोफेशनलिज्म के खिलाफ बताया।
इसी बीच निर्देशक राम गोपाल वर्मा का बयान भी सामने आया, जिन्होंने इस बहस को संतुलित नजरिए से देखा। उन्होंने कहा, “एक्टर और प्रोड्यूसर के बीच शिफ्ट टाइमिंग एक आपसी समझौता है। हर किसी को अपनी बात कहने और उसे स्वीकार या अस्वीकार करने का अधिकार है।” उन्होंने यह भी जोड़ा कि शूटिंग शेड्यूल लोकेशन, लाइट, कॉम्बिनेशन और तकनीकी फैक्टर्स पर भी निर्भर करता है।
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राम गोपाल वर्मा की बातों से साफ है कि यह मुद्दा सिर्फ किसी एक व्यक्ति की डिमांड नहीं है, बल्कि इससे जुड़ी परिस्थितियां भी अहम भूमिका निभाती हैं। हालांकि, दीपिका पादुकोण के इस फैसले ने एक बड़ा सवाल खड़ा कर दिया है, क्या बॉलीवुड को अब वर्क-लाइफ बैलेंस के बारे में गंभीरता से सोचना चाहिए? क्या कलाकारों की सीमाएं तय होनी चाहिए? फिलहाल अब देखना यह है कि आगे और कितने सितारे दीपिका के इस स्टैंड का समर्थन करते हैं या इससे पीछे हटते हैं।