
अमोल पालेकर ने तीन सिल्वर जुबली फिल्मों की हैट्रिक से किया डेब्यू
Amol Palekar Birthday Special Story: हिंदी सिनेमा के इतिहास में कई सितारे आए, चमके और अपनी पहचान छोड़कर आगे बढ़ गए, लेकिन कुछ कलाकार ऐसे होते हैं जो अपनी सादगी, अभिनय और अनूठी स्क्रीन प्रेज़ेंस से दर्शकों के दिलों में हमेशा के लिए बस जाते हैं। ऐसे ही कलाकार हैं अमोल पालेकर, जिन्होंने 24 नवंबर 1944 को मुंबई में जन्म लिया और अभिनय की दुनिया में अपनी ऐसी छाप छोड़ी, जिसे आज भी लोग बड़े सम्मान से याद करते हैं।
अमोल पालेकर को हिंदी सिनेमा का वह इकलौता हीरो कहा जाता है जिसने डेब्यू के साथ लगातार तीन सिल्वर जुबली हिट फिल्मों की हैट्रिक बनाई, जो आज तक किसी भी अभिनेता के लिए दोहराना मुश्किल साबित हुआ है। मराठी थिएटर और फिल्मों से अपने करियर की शुरुआत करने वाले अमोल ने अपने सहज, रियलिस्टिक और दिल को छू लेने वाले अभिनय के दम पर हिंदी सिनेमा में अपना अनोखा स्थान बनाया।
उनकी डेब्यू फिल्म ‘रजनीगंधा’ आज भी क्लासिक मानी जाती है। मन्नू भंडारी की कहानी ‘सच यही है’ पर आधारित यह फिल्म अपनी सरल कहानी, खूबसूरत संगीत और अमोल-विद्या सिन्हा की नैचुरल केमिस्ट्री की वजह से दर्शकों की पसंद बन गई। रिलीज के साल ही फिल्म ने सिल्वर जुबली मनाई और खुद को 1974 की सबसे सफल फिल्मों में शामिल कराया। फिल्म ने 1975 में सर्वश्रेष्ठ फिल्म का फिल्मफेयर पुरस्कार भी जीता। इस फिल्म ने न सिर्फ अमोल पालेकर बल्कि विद्या सिन्हा के लिए भी हिंदी सिनेमा के दरवाजे खोले।
अमोल की दूसरी हिंदी फिल्म ‘छोटी सी बात’ (1976) ने भी दर्शकों को खूब हंसाया और उनके रोमांटिक-कॉमिक अंदाज को पसंद किया गया। बासु चटर्जी द्वारा निर्देशित यह फिल्म 70 के दशक की सर्वश्रेष्ठ कॉमेडी फिल्मों में गिनी जाती है। फिल्म में मुंबई का सहज जीवन, प्यार की उलझनें और अमोल का सरल, शर्मीला लड़के वाला किरदार दर्शकों को खूब भाया। यह भी एक बड़ी बॉक्स ऑफिस हिट रही।
ये भी पढ़ें- फरहान अख्तर की ‘120 बहादुर’ को मिला बड़ा सपोर्ट, गजराज राव ने की जमकर सराहना
इसके बाद 1976 में ही रिलीज हुई ‘चितचोर’ ने अमोल की हैट्रिक को पूरा कर दिया। बासु चटर्जी के निर्देशन में बनी इस फिल्म ने फिर वही कमाल दिखाया। सुबोध घोष की बंगाली कहानी पर आधारित यह फिल्म भी सिल्वर जुबली हिट रही। जरीना वहाब के साथ उनकी ताजगी से भरी जोड़ी ने दर्शकों को खूब प्रभावित किया। अभिनेता के रूप में सफलता पाने के बाद अमोल पालेकर ने निर्देशन के क्षेत्र में भी मजबूत पहचान बनाई। उनकी फिल्मों में मधुरता, संवेदनशीलता और रियलिज़्म की खूशबू हमेशा देखने को मिली।






