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मुंबई: महाराष्ट्र में हो रहे चुनावी महाभारत में कौन बाजी मारेगा इसको लेकर अटकलबाजियों का दौर शुरू हो गया है। सियासी पंडित गुणा-भाग करने में लग गए हैं। लेकिन महाराष्ट्र में चुनावी गणित समझने के लिए सात घरों के समीकरणों को समझना होता है। किसी घर में सीएम एकनाथ शिंदे गुट की ताकत ज्यादा है तो कहीं उद्धव ठाकरे का रसूख है। कहीं कमल पुष्पित होना चाहता है तो कहीं पर कांग्रेस उसे हाथ से खींचकर बाहर करना चाहती है। कहीं पर शरद पवार की तुरूही जयघोष करते हुए दिखाई दे रही है तो कहीं अजित पवार की घड़ी सही समय बता रही है।
महाराष्ट्र के मुंबई, कोंकण, ठाणे, विदर्भ, पश्चिम महाराष्ट्र, उत्तर महाराष्ट्र, मराठवाड़ा में अलग-अलग जगहों पर अलग-अलग पार्टियों की अपनी-अपनी राजनीतिक पकड़ है। इस रिपोर्ट के जरिए आज हम महाराष्ट्र के राजनीतिक समीकरण को समझने की कोशिश करते हैं। इससे आपको यह भी अंदाजा लग जाएगा कि राज्य में चुनावी ऊंट किस करवट बैठ सकता है।
मुंबई क्षेत्र में कुल 36 विधानसभा सीटें आती हैं। मुंबई को हमेशा से ही उद्धव ठाकरे का गढ़ माना जाता रहा है। एकनाथ शिंदे की बगावत के बाद ठाकरे को कुछ नुकसान जरूर हुआ है, लेकिन लोकसभा चुनाव में ठाकरे के तीन में से दो सांसद चुने गए। 2019 में मुंबई में उद्धव ठाकरे के 15 विधायक थे। हालांकि 2014 के बाद से बीजेपी ने धीरे-धीरे मुंबई पर कब्जा कर लिया है। मुंबई में भी बीजेपी के 15 विधायक हैं। बीजेपी के पास आशीष शेलार, राहुल नार्वेकर, मंगलप्रभात लोढ़ा, अमित साटम, तिमल सेलवन, मनीषा चौधरी जैसे बड़े नेता हैं।
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वहीं दूसरी तरफ उद्धव ठाकरे, आदित्य ठाकरे, अजय चौधरी, सुनील प्रभु, सुनील राउत, रमेश कोरगांवकर जैसे बड़े नेता हैं। मुंबई में एक तरफ उद्धव ठाकरे और एकनाथ शिंदे गुट के बीच मुकाबला है, तो दूसरी तरफ बीजेपी और कांग्रेस के बीच मुकाबला होने वाला है। अमीन पटेल, असलम शेख, ज्योति गायकवाड़, नसीम खान जैसे कांग्रेस नेता भी मैदान में उतर चुके हैं। वहीं, नवाब मलिक, सना मलिक जैसे परिवार अजित पवार की तलवार की धार तेज कर रहे हैं।
महाराष्ट्र के कोंकण में कभी सांसद नारायण राणे का राज हुआ करता था, लेकिन वह बालासाहेब ठाकरे का दौर था। धीरे-धीरे कोंकण क्षेत्र में उद्धव ठाकरे का करिश्मा दिखने लगा, लेकिन आज यहां कांटे की टक्कर देखने को मिल रही है। कोंकण में सीधी लड़ाई शिंदे गुट और उद्धव गुट के बीच है। सीएम एकनाथ शिंदे के पास दीपक केसरकर, उदय सामंत जैसे मंत्री हैं, तो दूसरी तरफ नीलेश राणे, किरण सामंत जैसे कद्दावर नेता हैं। इस बार कोंकण में एकनाथ शिंदे गुट का दबदबा देखने को मिल सकता है।
महाराष्ट्र के ठाणे क्षेत्र को एकनाथ शिंदे का गढ़ माना जाता रहा है. धरमवीर आनंद दिघे से लेकर एकनाथ शिंदे तक ठाणे में शिंदे की छवि रही है। इस बार ठाणे में शिंदे के लिए करो या मरो की लड़ाई होगी। ठाणे में शिंदे गुट यूबीटी के खिलाफ चुनाव लड़ने जा रहा है। एकनाथ शिंदे खुद ठाणे के कोपरी पचपाखड़ी से चुनाव लड़ने जा रहे हैं। शिंदे के साथ ही प्रताप सरनाईक, भाजपा के रवींद्र चव्हाण, गणेश नाइक सभी कद्दावर नेता हैं, वहीं दूसरी ओर राजन विचारे, केदार दिघे जैसे वफादार शिवसैनिक उद्धव ठाकरे की कमान संभालने जा रहे हैं। यहां एकनाथ शिंदे किंगमेकर की भूमिका में नजर आ सकते हैं।
विदर्भ में सीधी लड़ाई कांग्रेस और भाजपा के बीच है। 2014 से पहले विदर्भ को कांग्रेस का गढ़ माना जाता था, लेकिन अब देवेंद्र फडणवीस ने यहां कमल खिला दिया है। कांग्रेस किसी भी तरह यहां से कमल को हटाना चाहती है, लेकिन यह इतना आसान नहीं है। विदर्भ में कांग्रेस की टीम में नाना पटोले, विजय वडेट्टीवार, यशोमति ठाकुर, नितिन राउत, सुनील केदार जैसे बड़े नाम हैं, तो दूसरी ओर देवेंद्र फडणवीस, सुधीर मुनगंटीवार, नितिन गडकरी, चंद्रशेखर बावनकुले जैसे भाजपा नेताओं की मजबूत फौज है, इसलिए विदर्भ में कमल और कांग्रेस के हाथ के बीच मुकाबला है।
पश्चिम महाराष्ट्र की जनता शरद पवार पर भरोसा करती रही है। दूसरी ओर मराठवाड़ा में माहौल एकनाथ शिंदे के पक्ष में दिख रहा है। उत्तर महाराष्ट्र में भाजपा का प्रभाव बढ़ता दिख रहा है। भाजपा के संकटमोचक गिरीश महाजन, एकनाथ शिंदे के दादा भुसे और अजित पवार के छगन भुजबल यहां के ताकतवर नेता हैं। ठाकरे को मानने वालों की संख्या उत्तर महाराष्ट्र में शरद पवार और कांग्रेस पार्टी से कहीं ज्यादा है। यही कारण है कि ठाकरे के सांसद वाझे ने शिंदे के नेता को हराकर लोकसभा चुनाव जीता था। विधानसभा चुनाव में उद्धव ठाकरे यहां महायुति को झटका दे सकते हैं।
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