बारामती में PM मोदी की 'नो एंट्री'!
मुंबई: जहां एक तरफ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी महाराष्ट्र के चुनावी रण मे बीते शुक्रवार से प्रचार में लग चुके हैं। वहीं खबर आ रही है कि, PM मोदी बारामती में चुनाव प्रचार नही करेंगे। अब वे बारामती में क्यों नहीं चुनाव प्रचार करेंगे, इसको लेकर भी अजित पवार ने एक बड़ा खास बयान दिया है, जिससे सभी चर्चाओं और कयासों को अब विराम लग चुका है।
दरअसल अजित ने अब साफ कहा कि प्रधानमंत्री मोदी जैसे बड़े कद के नेता छोटे स्थानों पर चुनावी रैलियां नहीं करते, इसलिए वह बारामती में चुनावी जनसभा नहीं करेंगे। देखा जाए तो अजित पवार इस बार खुद बारामती से मैदान में हैं। लेकिन इस बार उनका मुकाबला अपने भतीजे और शरद पवार गुट के नेता युगेंद्र पवार से होने जा रहा है। बारामती सीट पवार परिवार की पारिवारिक सीट है। वहीं इस बार यहां दिलचस्प और साख की लड़ाई होने वाली है।
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दरअसल पत्रकारों द्वारा जब यह पूछे जाने पर कि उन्होंने अपने समर्थन में जनसभा करने के लिए मोदी को क्यों नहीं आमंत्रित किया, तो अजित ने तपाक से कहा कि जब मोदी जैसे नेता प्रचार करते हैं, तो उनकी रैलियां जिला मुख्यालयों पर आयोजित की जाती हैं, न कि तहसील स्थलों पर। उन्होंने यह भी कहा, ‘‘तहसील से लोग रैली में भाग लेने जाते हैं। पुणे में होने वाली रैली पूरे जिले के लिए होगी जिसमें बारामती भी शामिल है।”
वहीं यह पूछे जाने पर कि फिर PM मोदी ने साल 2019 में बारामती में रैली क्यों की थी, उन्होंने कहा कि तब इसका उद्देश्य ‘‘अजित पवार नामक उम्मीदवार को हराना” था। अजित पवार 2019 में विपक्षी खेमे में थे और अपने चाचा शरद पवार के नेतृत्व वाली राकांपा का हिस्सा थे। इस बाबत अजित ने मजाकिया लहजे में कहा, ‘‘इस बार मोदी को उस व्यक्ति को हराना नहीं है। वह उसे जिताना चाहते हैं और इसीलिए वह रैली नहीं कर रहे हैं।”
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जानकारी दें कि, अजित पवार ने कहा था कि उन्होंने प्रधानमंत्री मोदी से अपने बारामती निर्वाचन क्षेत्र में चुनावी रैली करने का अनुरोध नहीं किया, क्योंकि वहां लड़ाई परिवार के भीतर है। देखा जाए तो, बारामती विधानसभा सीट पर दशकों से शरद पवार का ही कब्जा है। इसके पहले करीब तीन दशक तक शरद पवार ने खुद इस सीट का प्रतिनिधित्व किया था।
फिर इसके बाद उनके भतीजे अजित यहां से लगातार विधायक चुने जाते रहे हैं। लेकिन अब जब अजित के NDA में जा चुके हैं, इसके बाद बारामती सीट पर यह पहला विधानसभा चुनाव हो रहा है, जहां पारिवारिक और प्रतिष्ठा की लड़ाई है। इस लड़ाई में किसकी साख अब दांव पर लगेगी, इसके पता तो आगामी 23 नवंबर को ही चलेगा। लेकिन बारामती की लड़ाई तो इस बार चाचा और भतीजे (अजित बनाम युगेंद्र पवार) के बीच की है, जिसमें प्रधानमंत्री मोदी भी फिलहाल ‘नो एंट्री जोन’ में हैं।