
बेगूसराय विधानसभा सीट (सोर्स- डिजाइन)
Begusarai Assembly Constituency: बिहार की औद्योगिक और वित्तीय राजधानी के रूप में विख्यात बेगूसराय विधानसभा सीट इस बार के चुनाव में भी राजनीतिक और विकास के मुद्दों को लेकर चर्चा में है। गंगा के उत्तरी तट पर बसा यह शहर मिथिला क्षेत्र का अभिन्न अंग है और राज्य के प्रमुख जिला मुख्यालयों में से एक है।
बेगूसराय, जिसका नाम ‘बेगम सराय’ से प्रेरित माना जाता है, को 1870 में मुंगेर जिले के अनुमंडल के रूप में स्थापित किया गया था और 1972 में इसे पूर्ण जिला का दर्जा मिला। आज यह जिला बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों, गंगा, बूढ़ी गंडक और करेहा-बागमती नदियों के बीच कृषि आधारित अर्थव्यवस्था के साथ-साथ एक औद्योगिक हब के रूप में भी उभरा है।
बेगूसराय की अर्थव्यवस्था में कृषि की रीढ़ होने के बावजूद, यहाँ के उद्योग राज्य के राजस्व में बड़ा योगदान देते हैं। यहां के राजस्व का स्रोत बरौनी रिफाइनरी है, जो राज्य को सालाना करोड़ों रुपये का राजस्व देती है। साथ ही रोजगार केंद्र के रूप में हिंदुस्तान फर्टिलाइजर एंड केमिकल्स लिमिटेड और थर्मल पावर प्लांट जैसे बड़े उद्योग भी स्थानीय रोजगार के अवसर पैदा करते हैं। भाषा और संस्कृति की बात की जाए तो इस क्षेत्र में हिंदी और मैथिली प्रमुख भाषाएं हैं, जो मिथिला की समृद्ध सांस्कृतिक धरोहर को दर्शाती हैं।
बेगूसराय का राजनीतिक परिदृश्य काफी उतार-चढ़ाव भरा रहा है। शुरुआती दौर में देखा जाए तो 20वीं सदी की शुरुआत में यहाँ भूमिहार समुदाय का दबदबा था, जिसने कांग्रेस और बाद में जद (यू) का समर्थन किया। उसके बाद CPI का दौर देखने को मिला। एक समय ऐसा भी था जब यह क्षेत्र भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (CPI) का मजबूत गढ़ बना। इस दौरान यहाँ भूमि सुधार और सामाजिक न्याय की लहर चली थी। बदलाव की बात करें तो यहां अब हिंदू राष्ट्रवाद को बढ़ावा मिल रहा है और सीपीआई का प्रभाव धीरे-धीरे कम होता गया।
1951 में स्थापित बेगूसराय विधानसभा क्षेत्र, बेगूसराय लोकसभा के सात विधानसभा क्षेत्रों में से एक है। अब तक हुए 18 चुनावों में
कांग्रेस का प्रभुत्व लंबे समय तक रहा है। कांग्रेस ने आठ बार जीत हासिल की। वहीं भाजपा ने छह बार जीत दर्ज की। सीपीआई को भी यहां तीन बार जीत मिल चुकी है। वर्तमान समय में यहां पर विधायक भाजपा के कुंदन कुमार हैं, जिन्होंने 2020 में कांग्रेस की अमिता भूषण को 4,554 वोटों के अंतर से हराया था।
इस बार के विधानसभा चुनाव में भाजपा मजबूत स्थिति में दिखाई दे रही है, जिसका संकेत 2024 के लोकसभा चुनाव से मिलता है। लोकसभा चुनाव में भाजपा के गिरिराज सिंह को बेगूसराय विधानसभा खंड से 25,633 वोटों की बड़ी बढ़त मिली थी। एनडीए इस बार विकास और बुनियादी सुविधाओं पर जोर देकर अपनी स्थिति मजबूत कर रहा है।
बेगूसराय की राजनीति अब ग्रामीण-शहरी समर्थन और विकास के मुद्दों पर केंद्रित है। बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों, रोजगार की कमी और बुनियादी ढांचे की समस्याएँ स्थानीय असंतोष पैदा कर सकती हैं, जो भाजपा के लिए चुनौती खड़ी करेगा। विपक्ष सामाजिक न्याय के मुद्दे को हवा दे रहा है
चुनाव आयोग की 2024 की रिपोर्ट के अनुसार, बेगूसराय विधानसभा क्षेत्र का मतदाता गणित इस प्रकार का दिख रहा है। यहां पर
कुल मतदाताओं की संख्या 3 लाख 59 हजार 529 है, जिसमें पुरुष मतदाता 1,89,692 हैं, जबकि महिला मतदाता 1,69,829 हैं। वहीं
थर्ड जेंडर के कुल 8 मतदाता शामिल हैं।
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बेगूसराय बिहार की सियासत में हमेशा अहम भूमिका निभाता रहा है। यहाँ पहले चुनावी चरण में मतदान प्रस्तावित है, और सभी की निगाहें इस बात पर टिकी हैं कि क्या भाजपा अपनी लोकसभा वाली बढ़त को विधानसभा चुनाव में बरकरार रख पाती है या विपक्ष स्थानीय असंतोष को भुनाकर उलटफेर करने में सफल होता है।






