नई दिल्ली रेलवे स्टेशन (फोटो- सोशल मीडिया)
नई दिल्लीः महाकुंभ 2025 की भव्यता और विशालता के इतिहास को सुनहरे अक्षरों में लिख ही लिया जाएगा, लेकिन उसी पन्ने के दूसरी तरफ महाकुंभ से जुड़े हादसों के काले आध्याय का भी जिक्र होगा। हालांकि इस अध्याय से सरकार और प्रशासन को सबक लेना जरूरी है। महाकुंभ के से आने-जाने वाली ट्रेनों में भारी भीड़ है। सड़कों पर वाहनों की कतार है। पूरी व्यवस्था भीड़ के सामने ‘ऊंट के मुंह में जीरा’ समान लग रही है।
बीते शनिवार को राजधानी नई दिल्ली के रेलवे स्टेशन पर हुई भगदड़ में 18 लोगों की जान चली गई। इसके बाद प्रशासन की आंख खुली है। अब इस स्टेशन पर 26 फरवरी तक प्लेटफॉर्म टिकट पर रोक लगा दी गई है, प्रशासन ने बड़ा फैसला लेते हुए निर्देश जारी कर दिए हैं। इसके अलावा सुरक्षा को लेकर भी कड़े कदम उठाए गए हैं। पुलिस, RPF व CSIF के जवानों की संख्या बढ़ा दी गई है।
प्रयागराज स्टेशन पर भी हुई थी भगदड़
भगदड़ की जांच करने के लिए दो सदस्यीय कमेटी गठित की गई है। यह कमेटी जांच भगदड़ के कारणों की जांच करेगी। हालांकि इस प्रकार की देश में कोई पहली घटना नहीं है। ऐसा इससे पहले प्रयागराज रेलवे स्टेशन पर 2013 के महाकुंभ के दौरान हो चुकी है, जिसमें 36 लोगों की जान चली गई थी। नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर हुई भगदड़ की घटना और प्रयागराज रेलवे स्टेशन(उस समय प्रयागराज का नाम इलाहाबाद था) पर हुई भगदड़ में काफी समानता है।
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आंखो देखी भगदड़…कैसे हुई
नई दिल्ली रेलवे स्टेशन के प्लेटफॉर्म पर स्टाल लगाने वाले दिगंबर की आंखों के सामने यह घटना हुई है। वह पिछले 12 से 14-15 नंबर प्लेटफॉर्म पर स्टाल लगा रहे हैं। यहीं महाकुंभ जाने वाले श्रद्धालुओं के साथ हादसा हुआ। भगदड़ में 18 लोगों की मौत हो गई। 25 से ज्यादा लोग घायल हुए।
उन्होंने दैनिक भाष्कर को बताया कि ‘15 फरवरी को प्रयागराज के लिए पहली स्पेशल ट्रेन करीब शाम 7 बजे प्लेटफॉर्म नंबर-15 से निकली थी। इसके बाद रात वाली प्रयागराज स्पेशल पहले प्लेटफॉर्म नंबर-16 पर आने वाली थी। फिर अनाउंसमेंट हुआ कि वो प्लेटफॉर्म नंबर-12 पर आ रही है। तभी लोग उस प्लेटफॉर्म की ओर भागे और भगदड़ मच गई।’