AAP नेता सौरभ भारद्वाज ने दिल्ली की मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता से शराब नीति पर सवाल पूछा (फोटो- सोशल मीडिया)
नई दिल्ली: दिल्ली में नई आबकारी नीति को लेकर सियासत गरमा गई है। AAP नेता सौरभ भारद्वाज ने मुख्यमंत्री बनीं रेखा गुप्ता से तीखा सवाल पूछा है। AAP नेता का आरोप है कि पहले बीजेपी ने शराब दुकानों के निजीकरण पर आपत्ति जताई थी और वही नीति वापस भी ली गई थी। अब जब सत्ता बीजेपी के हाथ में है, तो सवाल यह है कि क्या अब नई आबकारी नीति में फिर से शराब दुकानों का निजीकरण किया जाएगा? पार्टी ने कहा कि यदि ऐसा हुआ, तो यह स्पष्ट हो जाएगा कि असल में शराब माफिया से साठगांठ किसकी थी।
आम आदमी पार्टी ने दिल्ली की नई मुख्यमंत्री को निशाने पर लेते हुए आबकारी नीति को लेकर बड़ा सवाल उठाया है। पार्टी ने कहा कि पूर्ववर्ती आबकारी नीति में शराब की दुकानों का निजीकरण किया गया था, जिसे बीजेपी ने भ्रष्टाचार का मुद्दा बनाकर विरोध किया और बाद में सरकार ने उस नीति को रद्द कर दिया था। अब बीजेपी सत्ता में है, और नई नीति लाने की तैयारी हो रही है, ऐसे में सवाल उठता है कि क्या फिर से शराब की दुकानों का निजीकरण किया जाएगा।
#WATCH | Delhi: AAP Delhi President Saurabh Bhardwaj says, “I have a direct question for her (CM Rekha Gupta). BJP objected to the Delhi Excise Policy and claimed that liquor shops had been privatised. Later, the policy was scrapped, and the shops became government-owned again.… pic.twitter.com/qiALtfiUYY
— ANI (@ANI) June 15, 2025
नई निजीकरण नीति में क्या शामिल
AAP के दिल्ली अध्यक्ष सौरभ भारद्वाज ने सीधे तौर पर मुख्यमंत्री से जवाब मांगते हुए कहा कि अगर नई नीति में निजीकरण शामिल है, तो यह साबित करेगा कि शराब माफिया से असली गठजोड़ किसका है। उन्होंने दावा किया कि बीजेपी ने पहले जनता को गुमराह किया और अब वह खुद उन्हीं नीतियों को लागू करने जा रही है, जिनका विरोध करती रही है बीजेपी की ओर से अब तक इस आरोप पर कोई औपचारिक जवाब नहीं आया है, लेकिन राजनीतिक गलियारों में इस सवाल ने गर्मी ला दी है। अब सभी की नजर इस बात पर टिकी है कि नई आबकारी नीति का मसौदा क्या होगा और इसमें शराब दुकानों को लेकर क्या फैसला लिया जाता है।
केदारनाथ यात्रा पर रोक: बारिश और मलबे से रास्ता बाधित, सोनप्रयाग से आगे नहीं बढ़ सकते श्रद्धालु
शराब नीति को लेकर बड़ा सियासी बवाल मचा था
शराब नीति को लेकर दिल्ली में पहले भी कई बार सियासी टकराव हो चुका है। पूर्व आबकारी नीति में भ्रष्टाचार के आरोप लगे थे, जिसके चलते उसे वापस ले लिया गया था। अब नई सरकार द्वारा लाए जाने वाली नीति पर सभी की नजरें टिकी हैं। यदि शराब दुकानों का फिर से निजीकरण होता है, तो यह बड़ा राजनीतिक मुद्दा बन सकता है। इस बीच आम आदमी पार्टी ने इसे सार्वजनिक रूप से उठाकर बीजेपी को जवाब देने के लिए मजबूर कर दिया है।