भारत-पाकिस्तान मैच पर दिल्ली में बवाल (फोटो- सोशल मीडिया)
Delhi News Protest Again Pakistan match: दिल्ली के दिल कनॉट प्लेस में इस वक्त माहौल गरमा गया जब एशिया कप में भारत और पाकिस्तान के बीच चल रहे क्रिकेट मैच के प्रसारण को लेकर एक बार के बाहर जोरदार प्रदर्शन शुरू हो गया। देशभक्ति के नारों और हाथों में तिरंगा लिए प्रदर्शनकारियों ने व्यावसायिक लाभ के लिए मैच दिखाने के इस निर्णय को शहीदों का अपमान बताया। यह घटना तुरंत ही शहर में चर्चा का विषय बन गई, जिसने नोरंजन और राष्ट्रीय सम्मान के बीच एक संवेदनशील बहस को फिर से हवा दे दी है, लोग सवाल कर रहे हैं कि क्या पैसों का मोह देश की संवेदनाओं से बड़ा है।
यह विरोध प्रदर्शन कनॉट प्लेस के प्रसिद्ध ‘माई स्क्वायर’ बार में हो रहा था, जहां मैच देखने के लिए बड़ी स्क्रीन लगाई गई थी। प्रदर्शनकारियों का आरोप था कि जब देश सीमा पर आतंकवाद और शहादत का दर्द झेल रहा है, तब कुछ व्यापारी केवल अपने मुनाफे के लिए देश की भावनाओं से खिलवाड़ कर रहे हैं। लोगों के हाथों में तख्तियां थीं और वे ‘इंकलाब जिंदाबाद’ जैसे नारे लगाकर अपना गुस्सा जाहिर कर रहे थे। इस पूरे घटनाक्रम के वीडियो और तस्वीरें सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो गए, जिससे यह बहस और भी व्यापक हो गई।
इस मामले ने जल्द ही राजनीतिक रंग भी ले लिया। आम आदमी पार्टी के नेता और दिल्ली के पूर्व मंत्री सौरभ भारद्वाज ने इस घटना का एक वीडियो सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ पर साझा किया। उन्होंने लिखा, ‘आज दिल्ली के कनॉट प्लेस में माई स्क्वायर बार में मैच का विरोध चल रहा है। भारत-पाकिस्तान मैच दिखाना और पैसा कमाना। जो पहलगाम में मरे, देश के बॉर्डर पर शहीद हुए, उनकी फिक्र ना सरकार को है, ना कुछ व्यापारियों को। इंकलाब जिंदाबाद।’ इसके अलावा, कांग्रेस नेता अभिषेक दत्त ने भी अपने समर्थकों के साथ कैंडल मार्च निकालकर इस मैच का विरोध किया। इस दौरान उन्होंने बीसीसीआई और पाकिस्तान के खिलाफ जमकर नारेबाजी की।
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प्रदर्शनकारियों ने स्पष्ट रूप से कहा कि ऐसे समय में जब देश शोक में है, भारत-पाकिस्तान मैच का प्रसारण करके पैसा कमाना पूरी तरह से अनैतिक है। उन्होंने सरकार से मांग की कि इस तरह के आयोजनों पर तुरंत रोक लगाई जानी चाहिए और देश के लिए जान देने वाले शहीदों के परिवारों को न्याय मिलना चाहिए। विरोध प्रदर्शन की खबर मिलते ही प्रशासन ने इलाके में भारी पुलिस बल तैनात कर दिया ताकि किसी भी अप्रिय घटना को रोका जा सके। हालांकि, प्रदर्शन शांतिपूर्ण रहा और किसी तरह के टकराव की कोई खबर नहीं है। इस घटना ने एक बार फिर व्यापार, मनोरंजन और राष्ट्रवाद के बीच की महीन रेखा पर एक बड़ी बहस छेड़ दी है।