धोखाधड़ी का नया तरीका। (सौजन्यः सोशल मीडिया)
नागपुर: पहले तो उन्होंने खुद का घर बताकर गिरवी रखने के लिए एक फाइनेंस कंपनी को मकान मालिक की प्रॉपर्टी के रंगीन फोटोकॉपी दस्तावेज दिए। इसके बाद इन दस्तावेजों के जरिए फाइनेंस कंपनी से 74.5 लाख का होम लोन लिया। बेलतरोड़ी पुलिस थाना क्षेत्र में अजीबोगरीब मामला सामने आया। इस मामले में आवास फाइनेंस के शाखा प्रबंधक की शिकायत के आधार पर आरोपियों के खिलाफ मामला दर्ज किया गया है।
पता चला कि आरोपी ने एक नहीं बल्कि 3 होम लोन लिए थे। आरोपियों के नाम नीलेश पौनीकर, नितेश पौनीकर, दिनेश पवार, विक्की पाठराबे, सचिन सोमकुंवर, संदीप नबोडकर, मनोज कुमार सार्वे, हेमंत सपकाल और राम नंदनवार हैं। आरोपी नीलेश और संदीप ने आवास फाइनेंस लिमिटेड में लोन वसूली एजेंट के रूप में काम किया है। इसलिए दोनों को होम लोन के बारे में पूरी जानकारी थी। दोनों ने होम लोन लेकर धोखाधड़ी करने की योजना बनाने की जानकारी सामने आई है।
जानकारी के अनुसार, बेलतरोड़ी पुलिस स्टेशन की सीमा के भीतर आवास फाइनेंस लिमिटेड कंपनी है। शिकायतकर्ता नितिन हगनकर (46) बेसा रोड स्थित शाखा में शाखा प्रबंधक के रूप में काम करते हैं। यह कंपनी संपत्ति गिरवी रखकर होम लोन उपलब्ध कराती है। 26 अक्टूबर 2023 से 25 अक्टूबर 2024 के बीच आरोपियों ने फरियादी की कंपनी के साथ मकान गिरवी रखने की साजिश रची।
खास बात यह है कि आरोपियों ने कंपनी को खुद का घर गिरवी रखने की बात कही। उन्होंने मकान के दस्तावेजों का दुरुपयोग कर आवास कंपनी से 74 लाख 50 हजार रुपए के 3 होम लोन स्वीकृत करवा लिए। आरोपियों ने शुरू में अपने होम लोन की किश्तें चुकाईं। लेकिन बाद में किश्तें अदा नहीं की गईं। जब शाखा प्रबंधक ने गहन जांच की तो पता चला कि गिरवी रखी गई संपत्ति के दस्तावेज़ की कलर प्रिंट की ज़ेरॉक्स जोड़ी गई थी।
अपराध जगत की खबरें पढ़ने के लिए इस लिंक पर क्लिक करें…
आरोपियों ने अपनी संपत्ति होने का दिखावा करके कंपनी के साथ धोखाधड़ी करने की बात प्रबंधक के सामने आई। शाखा प्रबंधक ने बेलतरोड़ी के वरिष्ठ पुलिस निरीक्षक मुकुंद कावड़े से मुलाकात की और पूरी घटना बताई। कावड़े ने प्रारंभिक जांच के बाद आरोपियों के खिलाफ विभिन्न धाराओं के तहत मामला दर्ज कर लिया है। आरोपियों ने कहां-कहां धोखाधड़ी की है? और उनका मास्टर माइंड कौन है, यह जांच पुलिस कर रही है।
किश्तें छूट जाने के कारण होम लोन लेने वालों के पते पर आवास कंपनी के कर्मचारी पहुंचे। जैसे ही मकान मालिक को बताया गया कि होम लोन की किश्तें चुकाने का समय आ गया है, तो उनके पैरों तले की रेत खिसक गई। मकान मालिक ने बताया कि हमने कभी कोई होम लोन नहीं लिया है। हमने घर को बिक्री के लिए रखा था और खरीद सौदा अंतिम रूप ले चुका है। मकान मालिक ने आवास कर्मचारियों को बताया कि आरोपियों ने घर के दस्तावेजों की रंगीन फोटोकॉपी मांगी थी, इसके बाद इस मामले का भंडाफोड़ हो गया।
अगर किसी ने मकान को बिक्री के लिए रखा हो, ऐसे लोगों को आरोपी खोजते रहते थे। लोगों को शिकार बनाने के लिए दिमाग का इस्तेमाल आरोपी बखूबी करते थे। इसके बाद मीठी-मीठी बातें करके आरोपी उनके पते पर जाकर मकान खरीदने की इच्छा जाहिर करते थे। सौदा तय हो गया, यह दिखावा करते हुए संबंधित मकान मालिक से मकान के दस्तावेज ले लेते थे।
इसी के साथ दस्तावेजों की कलर ज़ेरॉक्स प्रतियां बना लेते थे। इसके बाद फर्जी पहचान पत्र बनाकर मकान मालिक के नाम से बैंक खाता खोल लेते थे। रजिस्ट्री कार्यालय में जाकर नकली दस्तावेज प्राप्त करना और फर्जी नामों के आधार पर पंजीकरण आरोपी करते थे। इसके बाद मकान मालिक के दस्तावेजों (कलर ज़ेरॉक्स) का दुरुपयोग करके आरोपी होम लोन पास करवाते थे।