पुलिस गिरफ्त में साइबर ठग (सौजन्य सोशल मीडिया)
Delhi Crime News: दिल्ली की आउटर नॉर्थ जिला साइबर पुलिस ने फर्जी क्रेडिट कार्ड जारी करने और फिर उसे एक्टिवेट करने का झांसा देकर एक व्यक्ति के खाते से 1 लाख रुपए की ठगी के मामले में एक आरोपी को गिरफ्तार कर लिया।
दरअसल, 10 अक्टूबर 2024 को शिकायतकर्ता के मोबाइल पर कॉल आई। कॉलर ने खुद को एक निजी बैंक का प्रतिनिधि बताते हुए कहा कि उनके नाम पर एक क्रेडिट कार्ड जारी हुआ है, जिसे एक्टिवेट करना होगा।
शिकायतकर्ता ने पहले इनकार किया, लेकिन बाद में जब उसने बैंक के मोबाइल ऐप पर चेक किया तो पाया कि वास्तव में उसके नाम पर कार्ड जारी हुआ है। इसके बाद कॉलर के बहकावे में आकर शिकायतकर्ता ने ओटीपी शेयर कर दिया। ओटीपी शेयर होते ही खाते से एक लाख रुपए कट गए। इस मामले में पिछले साल 27 दिसंबर को थाना साइबर आउटर नॉर्थ में एफआईआर दर्ज की गई थी। मामले की जांच के लिए एएसआई वेद और एचसी विकास की टीम बनाई गई, जिसका नेतृत्व इंस्पेक्टर गोविंद सिंह कर रहे थे।
पूरी जांच डीसीपी आउटर नॉर्थ जिला, हरेश्वर स्वामी की देखरेख में और संयुक्त पुलिस आयुक्त, नॉर्दर्न रेंज, विजय सिंह के मार्गदर्शन में हुई। पैसे की ट्रेल की जांच में सामने आया कि ठगी की रकम पहले हबीफ सैफ के खाते में पीजी सेटलमेंट के जरिए 14 अक्टूबर को पहुंची थी और फिर तीन ट्रांजेक्शन में रकम पानीपत के बैंक ऑफ इंडिया के खाते में ट्रांसफर हुई। यह खाता पानीपत निवासी अमित (27) के नाम पर था।
आरोपी अमित पहले भी थाना द्वारका में गिरफ्तार किया जा चुका है। टीम ने इस 19 सितंबर को आरोपी को गिरफ्तार कर लिया। पूछताछ में उसने जुर्म कबूल कर लिया। पूछताछ में पता चला कि अमित और उसके साथी नकली क्रेडिट कार्ड बनाकर बेचते थे। बैंक प्रतिनिधि बनकर लोगों को कॉल करते और नए कार्ड एक्टिवेट करने के नाम पर ओटीपी मांगते थे। ओटीपी हासिल कर वे बैंक खातों तक अनधिकृत पहुंच बनाते और पेमेंट गेटवे व फर्जी खातों के जरिए पैसे ट्रांसफर कर लेते।
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जांच के दौरान इसी प्रकार की तीन और शिकायतें आरोपी से जुड़ी पाई गईं, जिससे उसके बड़े साइबर फ्रॉड नेटवर्क में शामिल होने की आशंका गहरी हो गई है। अन्य साथियों और पैसों के लाभार्थियों की भूमिका की जांच जारी है। आउटर नॉर्थ जिला पुलिस ने नागरिकों से अपील की है कि वे कभी कॉल पर ओटीपी, पिन या बैंकिंग डिटेल शेयर न करें। बैंक कभी ऐसी जानकारी नहीं मांगते। ऐसे मामलों में हमेशा बैंक की आधिकारिक हेल्पलाइन से सत्यापन करें।
(एजेंसी इनपुट के साथ)