छत्तीसगढ़ के ग्रह मंत्री विजय शर्मा (फोटो- सोशल मीडिया)
रायपुर: छत्तीसगढ़ में माओवादी गतिविधियों के खिलाफ चल रहे ऑपरेशन के बीच नक्सलियों ने एक बार फिर शांति वार्ता की पेशकश की है, लेकिन इस बार सरकार का रुख सख्त नजर आ रहा है। नक्सलियों ने पत्र लिखकर गृह मंत्री से सीधी बातचीत की मांग की, वहीं राज्य सरकार ने स्पष्ट कर दिया है कि जब तक माओवादी हथियार नहीं डालते, तब तक किसी तरह की बातचीत संभव नहीं है। लगातार हो रही मुठभेड़ों और बढ़ते सरेंडरों के बीच नक्सली अब खुद को घिरा हुआ महसूस कर रहे हैं, जिसकी झलक उनके पत्रों में साफ दिख रही है।
माओवादी संगठन ने पांचवां पत्र जारी कर शांति वार्ता की इच्छा जताई है, जिसमें स्वीकार किया गया कि पिछले ऑपरेशन में उनके 26 साथी मारे गए। साथ ही यह भी कहा गया कि भारी सुरक्षा घेरे की वजह से वे आंतरिक बैठकें नहीं कर पा रहे हैं। वहीं सरकार ने साफ कर दिया है कि किसी भी वार्ता से पहले नक्सलियों को आत्मसमर्पण करना ही होगा, क्योंकि अब राज्य की जनता और सुरक्षाबल दोनों हिंसा नहीं झेल सकते।
शांति वार्ता की शर्त पर अड़ा प्रशासन
शांति वार्ता की पहल के बावजूद सरकार ने माओवादियों के सामने साफ शर्त रख दी है कि पहले हथियार डालें, फिर ही कोई बातचीत संभव है। राज्य के गृहमंत्री ने दो टूक कहा कि कोई भी गोली चलाना नहीं चाहता, लेकिन अब नक्सली हिंसा बर्दाश्त नहीं की जाएगी। उन्होंने यह भी जोड़ा कि राज्य और केंद्र की संयुक्त कार्रवाई अब निर्णायक दौर में है, जिससे नक्सलियों की ताकत लगातार कमजोर हो रही है।
ऑपरेशन का असर और माओवादी दबाव में
हाल ही में छत्तीसगढ़-तेलंगाना सीमा पर हुए 24 दिन के ऑपरेशन में 31 नक्सली मारे गए, जिनमें बड़ी संख्या में महिलाएं भी शामिल थीं। इस साल अब तक करीब 197 नक्सली मारे जा चुके हैं और 700 से ज्यादा ने आत्मसमर्पण किया है। इन आंकड़ों से स्पष्ट है कि सुरक्षा बलों का दबाव अब माओवादियों को हथियार छोड़ने पर मजबूर कर रहा है और शांति वार्ता की पेशकश उसी रणनीतिक बैकफुट का संकेत है।