लड़कियों की शिक्षा (सौजन्य-सोशल मीडिया)
नागपुर: पिछले वर्ष से सरकार ने राज्य में उच्च शिक्षा में लड़कियों के लिए मुफ्त शिक्षा कर दी है। तकनीकी, वैद्यकीय सहित अन्य व्यावसायिक पाठ्यक्रमों में प्रवेश लेने वाली लड़कियों से ट्यूशन और परीक्षा फीस नहीं वसूलने के आदेश दिए थे। लड़कियों की ट्यूशन और परीक्षा की प्रतिपूर्ति सरकार द्वारा छात्रवृत्ति के रूप में की जानी थी लेकिन अब भी वैद्यकीय सहित अन्य व्यावसायिक पाठ्यक्रमों में अध्ययनरत लड़कियों को लाभ नहीं मिल रहा है।
पूरी फीस भरकर प्रवेश लेना पड़ रहा है। इससे लग रहा है कि लड़कियों की मुफ्त शिक्षा नीति के लिए सरकार की तिजोरी खाली हो गई है। आरक्षित वर्ग सहित ओबीसी वर्ग की लड़कियों को छात्रवृत्ति मिलती है लेकिन सरकार ने पिछले वर्ष अध्यादेश जारी कर किसी भी वर्ग की लड़कियों को फीस में 100 प्रतिशत राहत देते हुए परीक्षा फीस भी नहीं वसूलने के आदेश दिए थे।
इस अध्यादेश में ओबीसी, ईबीसी, वीजेएनटी, ईडब्ल्यूसी वर्ग की छात्राओं का समावेश किया गया। इंजीनियरिंग की तुलना में वैद्यकीय सहित अन्य व्यावसायिक पाठ्यक्रमों की फीस अधिक है लेकिन जब सरकार द्वारा घोषणा ही की गई तो पालकों ने अपनी बेटियों का प्रवेश दिलाया। प्रवेश के दौरान संस्थाओं ने पहले फीस भरने की जबरदस्ती की। इसके बिना प्रवेश से इनकार कर दिया। पालकों को उम्मीद थी कि सरकार द्वारा छात्रवृत्ति जारी होने के बाद फीस वापस मिल जाएगी लेकिन 7 महीने से अधिक वक्त बीत जाने के बाद भी छात्रवृत्ति नहीं मिली है।
कॉलेजों को छात्रवृत्ति वितरित करने वाले समाज कल्याण विभाग की सहायक आयुक्त सुकेशिनी तेलगोटे का कहना है कि लड़कियों को मुफ्त शिक्षा नहीं मिलने की अब तक कोई भी शिकायत प्राप्त नहीं हुई है। शिकायत मिलने के बाद संस्थाओं पर कार्रवाई की जाएगी। उधर, संस्थाओं का कहना है कि जब सरकार ने निधि ही नहीं दी तो फीस वसूलना जरूरी हो जाता है। फीस नहीं लेंगे तो प्राध्यापकों का वेतन कहां से देंगे। वेतन नहीं देंगे तो संस्थाएं संचालित करना मुश्किल हो जाएगा। सरकार निधि जारी करे, लड़कियों की फीस लौटा दी जाएगी।
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पिछले वर्ष से सरकार द्वारा लड़कियों को मुफ्त शिक्षा के नाम पर विधानसभा सहित अन्य मंचों पर केवल वाहवाही लूटी जा रही है जबकि हकीकत पर कोई भी बोलने को तैयार नहीं है। लड़कियों को मुफ्त शिक्षा के नाम पर सरकार की तिजोरी ही खाली हो गई है, ऐसी स्थिति देखने को मिल रही है। पालकों का कहना है कि अब तक छात्रवृत्ति नहीं मिली है। यदि पहले ही घोषणा नहीं की जाती तो बेटियों को प्रवेश से पहले उस तरह का नियोजन करते। जब सरकार की तैयारी ही नहीं थी तो फिर घोषणा क्यों की गई और अध्यादेश क्यों जारी किया गया।