प्रतीकात्मक तस्वीर
नई दिल्ली: देश के आम लोगों के लिए यह राहत भरी खबर है। दरअसल, खाद्य वस्तुओं, मैन्यूफैक्चरिंग उत्पादों और ईंधन की कीमतों में नरमी के बीच मई में थोक मूल्य महंगाई (WPI) घटकर 0.39 प्रतिशत रह गई। थोक मूल्य सूचकांक आधारित महंगाई अप्रैल में 0.85 प्रतिशत और मई 2024 में 2.74 प्रतिशत रही थी। उद्योग मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि मुख्य तौर पर खाद्य उत्पादों, बिजली, अन्य मैन्यूफैक्चरिंग, रसायनों व रासायनिक उत्पादों, परिवहन उपकरणों और गैर-खाद्य वस्तुओं के उत्पादन की कीमतों में वृद्धि इसकी मुख्य वजह रही।
थोक मूल्य सूचकांक के आंकड़ों के अनुसार, खाद्य वस्तुओं की कीमतों में मई में 1.56 प्रतिशत की गिरावट देखी गई, जबकि अप्रैल में इनमें 0.86 प्रतिशत की गिरावट आई थी। सब्जियों के दाम में भारी गिरावट आई। सब्जियां मई में 21.62 प्रतिशत सस्ती हुईं, जबकि अप्रैल में इनकी कीमतें 18.26 प्रतिशत घटी थीं।
बता दें कि इस अवधी के दौरान मैन्यूफैक्चरिंग उत्पाद महंगाई 2.04 प्रतिशत रही, जबकि अप्रैल में यह 2.62 प्रतिशत थी। ईंधन और बिजली में भी मई में महंगाई 2.27 प्रतिशत रही जबकि अप्रैल में यह 2.18 प्रतिशत थी। भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) मौद्रिक नीति तैयार करते समय मुख्य रूप से खुदरा महंगाई पर गौर करता है। खुदरा महंगाई मई में घटकर छह वर्ष के निचले स्तर 2.82 प्रतिशत पर आ गई, जिसका मुख्य कारण खाद्य कीमतों में नरमी रही। पिछले सप्ताह जारी आंकड़ों में यह जानकारी मिली। आरबीआई ने महंगाई में नरमी के बीच इस महीने नीतिगत रेपो रेट में 0.50 प्रतिशत की भारी कटौती कर इसे 5.50 प्रतिशत कर दिया था।
भारत सरकार ने सोमवार, (16 जून) को मई 2025 के लिए थोक मूल्य सूचकांक (WPI) के आंकड़े जारी किए। मई में WPI 14 महीने के निचले स्तर 0.39% पर आ गया। सरकार ने खाद्य उत्पादों, बिजली, अन्य विनिर्माण, रसायनों और रासायनिक उत्पादों के विनिर्माण, अन्य परिवहन उपकरणों और गैर-खाद्य वस्तुओं आदि की कीमतों में वृद्धि को महंगाई की सकारात्मक दर का श्रेय दिया है।
थोक मूल्य सूचकांक या WPI, उन वस्तुओं की कीमतों में परिवर्तन को मापता है जिन्हें थोक व्यापारी अन्य कंपनियों को बेचते हैं और उनके साथ थोक में व्यापार करते हैं। CPI के विपरीत, जो उपभोक्ताओं द्वारा खरीदी गई वस्तुओं और सेवाओं की कीमतों को ट्रैक करता है, WPI खुदरा कीमतों से पहले फ़ैक्टरी गेट कीमतों को ट्रैक करता है।