होम लोन या किराया (सौ. सोशल मीडिया )
Home Loan Vs Rent: शहर में रहकर नौकरी करने वालों के ख्याल में ये ये बात जरूर आती होगी कि अपना घर होना सही ऑप्शन साबित हो सकता है। क्योंकि जितना पैसा किराए के घर में किराया चुकाने में लगता है, उतने पैसे में तो होम लोन की ईएमआई भरी जा सकती हैं।
जिसका सीधा मतलब ये है कि किराए पर लाखों रुपये खर्च करने से बेहतर ऑप्शन ये हो सकता है कि होम लोन लेकर उतनी ही राशि की ईएमआई भर दी जाए। हालांकि इसमें भी कई सारे आयाम हैं। आइए हम आपको 1 करोड़ रुपये के घर के लिए 20 साल का Financial Analysis करके जानकारी देते हैं कि किराए के घर में रहना सही साबित हो सकता है या फिर होम लोन की ईएमआई का भुगतान करना।
अगर आप किसी भी मेट्रो सिटी में लगभग 2-3 बीएचके का घर खरीदने के बारे में सोच रहे हैं, तो आज की तारीख में आपको इसके लिए 1 करोड़ रुपये का भुगतान करना होगा। अगर आप 1 करोड़ रुपये की कीमत का घर खरीदना चाहते हैं, तो आपको घर की वैल्यू का लगभग 20 फीसदी डाउन पेमेंट के रुप में देना होगा। जिसका मतलब है कि आपको 20 लाख रुपये डाउनपेमेंट देनी होगी। इसके बाद आपको 80 लाख रुपये के लोन की राशि को चुकाना होगा।
मानकर चलिए की आपके होम लोन का एवरेज इंटरेस्ट रेट 8.5 प्रतिशत है और आप 20 साल के लिए लोन लेते हैं, तो आपकी मंथली ईएमआई लगभग 69,426 रुपये होगी। पूरे 20 साल में आप लगभग 86.6 लाख रुपये सिर्फ ब्याज के तौर पर चुका देंगे। जिसका सीधा मतलह है कि घर की टोटल वैल्यू होगी 20 लाख डाउन पेमेंट + 80 लाख लोन की राशि + 86.6 लाख रुपये का ब्याज यानी करीब 1.86 करोड़ रुपये। अगर सालाना प्रॉपर्टी की ग्रोथ 6 प्रतिशत मान लीजिए, तो 20 साल बाद इस घर की कीमत तकरीबन 3.21 करोड़ रुपये तक हो जाएगी यानी आपके खर्च हुए 1.86 करोड़ रुपये के बदले में 20 सालों के बाद आपको 3.21 करोड़ रुपये की प्रॉपर्टी होगी।
अब मानकर चलिए कि आप किसी 1 करोड़ रुपये की वैल्यू वाले घर को रेंट पर लेते हैं और उसके लिए आप 40,000 रुपये का महीने का किराया देते हैं और रेंट में 10 प्रतिशत की बढ़त होती है, तो वो 20 साल तक 2.67 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच जाएगा। इस हिसाब से आपको 20 सालों में लगभग 2.75 करोड़ रुपये बतौर किराया देना होगा।
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अगर आपके घर का किराया हर साल 10 प्रतिशत की दर से बढ़ता है, तो लंबे समय तक घर खरीदना आपके लिए फायदेमंद साबित हो सकता है। खुद का घर खरीदने के 20 साल बाद आपके पास एक वैल्यूऐबल प्रॉपर्टी होगी। साथ ही किराए पर रहने की स्थिति में आपके खर्च भी लगातार बढ़ने वाले हैं और आपके पास इंवेस्टमेंट के तौर पर काफी कम पैसे बचेगें। फिर भी, ये फैसला सिर्फ आंकड़ों के आधार पर नहीं लिया जा सकता है। इस फैसले के लिए आपकी कमाई कितनी है, आप कहां रहते हैं?, आपकी लाइफस्टाइल कैसी है, ये भी मायने रखता है। खुद का घर खरीदने में और किराए के घर पर रहने में दोनों के अलग-अलग नुकसान और फायदे हैं। जैसा कि किराए के घर पर रहने की स्थिति में आप कभी भी घर बदल सकते हैं। लेकिन खुद का घर लेने पर आप उसे बदल नहीं सकते, इसके लिए आपको उसे बेचना ही होगा।