नई दिल्ली: राष्ट्रीय राजधानी में ट्रांसजेंडर (Transgender) समुदाय के लिए हाल में आयोजित एक रोजगार मेले में, चमकीले हरे रंग की साड़ी पहनी प्रेरणा कुमारी अलग-अलग बूथ पर जाकर अपना ‘बायोडाटा’ देते और संभावित नियोक्ताओं के साथ अपनी भविष्य की संभावनाओं के बारे में बात करती दिखी। दिल्ली (Delhi) की रहने वाली कुमारी, हाल ही में आयोजित ‘ट्रांस एम्प्लॉयमेंट मेले (Trans Employment Fair)’ में हिस्सा लेने वाले ट्रांसजेंडर समुदाय के 230 से अधिक अभ्यर्थियों में से एक थी। इन सभी की इच्छा बेहतर जीवन, कामकाज के अधिक समावेशी वातावरण के अलावा यह भी थी कि समाज में उन्हें समान दर्जा मिले।
दिल्ली विश्वविद्यालय से इतिहास में स्नातक, कुमारी भविष्य में प्रोफेसर बनना चाहती है, लेकिन वह फिलहाल एक बेहतर कार्यस्थल की तलाश में है। कुमारी (23) ने ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया, ‘‘मेरी वर्तमान नौकरी में, मुझे अलग थलग कर दिया गया। कोई भी मेरे साथ बैठना पसंद नहीं करता, उन्हें शर्मिंदगी महसूस होती है। कोई ट्रांसजेंडर नीति नहीं है। यहां (मेले में) हर कोई मुझसे मुस्कुराते हुए मिल रहा है। हर कोई बहुत स्वागत कर रहा है।”
ऐसा था ट्रांस एम्प्लॉयमेंट मेला
‘ट्रांस एम्प्लॉयमेंट मेले’ का दूसरा संस्करण ट्रांसजेंडर वेलफेयर इक्विटी एंड एम्पावरमेंट ट्रस्ट (ट्वीट) फाउंडेशन और इनहार्मनी द्वारा सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय और नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल डिफेंस (एनआईएसडी) के सहयोग से आयोजित किया गया था। यह यहां 22 मार्च को आयोजित किया गया था। इस मेले में पब्लिसिस सैपिएंट, वरुण बेवरेजेज, प्रॉक्टर एंड गैंबल, द ललित, वेदांता, कैपजेमिनी, शॉपर्स स्टॉप, ईवाई फाउंडेशन, एरिक्सन, एक्सेंचर और रूप ऑटो सहित 30 से अधिक कंपनियों ने भाग लिया। एक अन्य अभ्यर्थी मयूरी अरोड़ा इस कार्यक्रम को लेकर काफी उत्सुक नजर आई और वह बेहतर वेतन वाली नौकरी की तलाश कर रही है। मयूरी ने उसके बाकी लोगों से भिन्न होने के बारे में बात की जो उसे नौकरी के उसके पहले साक्षात्कार में महसूस कराया गया था।
मयूरी (28) ने कहा, ‘‘लगभग छह साल पहले, मुझे एक कंपनी में सफ़ाईकर्मी की नौकरी मिली। उन्होंने कहा कि आपका व्यवहार और योग्यताएं अच्छी हैं लेकिन हम आपको नौकरी नहीं दे सकते क्योंकि इससे अन्य कर्मचारी असहज हो जाएंगे।” इसके बाद मयूरी को एक गैर सरकारी संगठन में ऐसी नौकरी मिली, जिसका वेतन उसके परिवार के भरण-पोषण के लिए पर्याप्त नहीं था। उसने कहा,‘‘इसलिए मैं यहां आयी हूं।”
पुष्पेंद्र कुमार (24) इस बात से खुश नजर आई कि उसके जैसे काफी लोग नौकरी की तलाश में आये हैं और उन्हें ऐसी जगह काम मिलने की उम्मीद है, जहां उन्हें अलग-थलग नहीं किया जाएगा। उन्होंने कहा, ‘‘आम तौर पर, लोग टिप्पणियां करते हैं और आपको आंकते हैं लेकिन यहां ऐसा नहीं है। यहां हर कोई मेरे जैसा है, वे सभी दोस्त हैं। मुझे लगता है कि मुझे यहां समान अवसर मिलेगा।”ट्वीट फाउंडेशन संस्थापक अभिना अहेर ने कहा कि ट्रांसजेंडर समुदाय के सदस्यों के लिए रोजगार की तलाश करना मुश्किल है क्योंकि ज्यादातर मामलों में भेदभाव घर से ही शुरू होता है।
(एजेंसी)