सुप्रीम कोर्ट और एचडीएफसी बैंक, (कॉन्सेप्ट फोटो)
नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने एचडीएफसी बैंक के मुख्य कार्यकारी अधिकारी और प्रबंध निदेशक शशिधर जगदीशन (HDFC Bank CEO) की उस याचिका पर शुक्रवार को विचार करने से इनकार कर दिया, जिसमें उन्होंने लीलावती कीर्तिलाल मेहता मेडिकल ट्रस्ट की शिकायत पर उनके खिलाफ दर्ज धोखाधड़ी और जालसाजी की प्राथमिकी को चुनौती दी थी। लीलावती कीर्तिलाल मेहता मेडिकल ट्रस्ट मुंबई के प्रसिद्ध लीलावती अस्पताल का संचालन करता है। न्यायमूर्ति पी एस नरसिम्हा और न्यायमूर्ति आर महादेवन की पीठ ने कहा कि यह मामला पहले ही 14 जुलाई को बॉम्बे उच्च न्यायालय में सुनवाई के लिए सूचीबद्ध है।
पीठ ने कहा कि हम इस मामले पर विचार करने के इच्छुक नहीं हैं। हम इसके गुण-दोष पर विचार नहीं करेंगे। यदि 14 तारीख को मामले की सुनवाई नहीं होती है तो आप वापस आइएगा। पीठ ने आगे कहा कि हमें उम्मीद है कि उच्च न्यायालय निर्धारित तिथि पर मामले पर सुनवाई करेगा।
जगदीशन की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी ने कहा कि बैंक को एक निजी विवाद में घसीटा गया है। उन्होंने कहा कि विचार यह है कि एमडी को पुलिस थाने बुलाया जाए। एमडी के खिलाफ कोई कार्यवाही नहीं की जानी चाहिए। रोहतगी ने कहा कि उन्होंने बॉम्बे उच्च न्यायालय का रुख किया था, लेकिन उच्च न्यायालय की तीन पीठों ने अब तक मामले की सुनवाई से खुद को अलग कर लिया है। ट्रस्ट द्वारा दर्ज कराई गई शिकायत के अनुसार, जगदीशन ने ट्रस्ट के प्रशासन पर अवैध और अनुचित नियंत्रण बनाए रखने में चेतन मेहता समूह की मदद करने में वित्तीय सलाह देने के बदले कथित तौर पर 2.05 करोड़ रुपये की रिश्वत ली।
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ट्रस्ट ने जगदीशन पर एक निजी बैंक के प्रमुख के रूप में अपने पद का दुरुपयोग कर एक धर्मार्थ संगठन के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप करने का आरोप लगाया है। प्राथमिकी रद्द करने के अनुरोध वाली जगदीशन की याचिका पहली बार जून में उच्च न्यायालय में सूचीबद्ध की गई थी। ट्रस्ट की शिकायत पर भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (बीएनएसएस) की धारा 175 (3) के तहत बांद्रा मजिस्ट्रेट अदालत के आदेश के बाद बांद्रा पुलिस थाने में जगदीशन के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गई थी।