बाकू, अजरबैजान (सौ. सोशल मीडिया )
पहलगाम हमले के बाद भारत ने पाक पर जबरदस्त हमला करके ऑपरेशन सिंदूर को अंजाम दिया था। जिसके बाद बौखलाए हुए पाकिस्तान ने भारत के रिहायशी इलाकों पर हमला करना शुरू कर दिया था, जिसमें सबसे पहले तुर्किये ने उसका सपोर्ट किया था।
तुर्किये और अजरबैजान का पाकिस्तान को समर्थन देना इन दोनों देशों के लिए नुकसानदायक साबित हो सकता है। क्योंकि जब से इन दोनों ने पाकिस्तान को सपोर्ट किया है, तब से ही भारत में बॉयकॉट तुर्की और अजरबैजान का ट्रेंड चल रहा है। हालांकि इस ट्रेंड का सबसे गहरा असर अजरबैजान पर पड़ सकता है। इंडियन टूरिस्ट इन दोनों देशों में यात्रा करना कैंसिल कर रहे हैं। जिसके चलते सिर्फ 1 हफ्ते में ही 60 प्रतिशत से ज्यादा बुकिंग कैंसिल हुई है।
आपको बता दें कि भारत अजरबैजान से कच्चा तेल खरीदता था। भारत अजरबैजान का तीसरा सबसे बड़ा कच्चे तेल का खरीदार है। अजरबैजान से भारत को होने वाले टोटल एक्सपोर्ट में कच्चे तेल का हिस्सा भी 98 प्रतिशत है। जिसके कारण तुर्की प्रोडक्ट्स पर वॉलेंटरी रजिस्ट्रेशन लगाने की तुलना में अजरबैजान के साथ कारोबार का तुरंत बहिष्कार करना आसान हो सकता है। आइए आपको बताते हैं कि अजरबैजान भारत पर कितना निर्भर है?
पाकिस्तान का साथ देना ना सिर्फ तुर्किये को बल्कि अजरबैजान को भी भारी पड़ेगा, जिसका असर होता हुआ दिखना शुरू हो गया है। अब अजरबैजान टूरिज्म पर बॉयकॉट अजरबैजान मुहिम का असर हो रहा है। लोग अपनी मर्जी से टूर पैकेज को कैंसिल कर रहे हैं। रूस, तुर्किये, ईरान के बाद अजरबैजान के लिए भारत सबसे बड़ा टूरिज्म का सोर्स है। आपको बता दें कि साल 2014 में यहां पहुंचने वाले टूरिस्टों की संख्या टोटल 4,853 से बढ़कर साल 2024 में 243,589 टूरिस्ट की हो गई। साल 2023 में लगभग 1.17 लाख इंडियन अजरबैजान घूमने पहुंचे थे।
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मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, देशभर के बिजनेसमैन का प्रतिनिधित्व करने वाली संस्था कैट ने भारत के रहने वालों और बिजनेसमैन से तुर्किये और अजरबैजान की यात्रा का बॉयकॉट करने की अपील की है। इस बहिष्कार से अजरबैजान के टूरिज्म, एंटरटेनमेंट, वेडिंग बिजनेस और कई सेक्टर पर इसका असर हो सकता है। साल 2023 में भारत ने अजरबैजान से लगभग 1.227 बिलियन डॉलर का कच्चा तेल इंपोर्ट किया था।