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मुम्बई: महंगाई की दर में हालिया गिरावट ने जून में होने वाली आरबीआई की मौद्रिक नीति समिति की बैठक को लेकर बाजार की उम्मीदें और बढ़ा दी हैं। बीते मार्च में खुदरा महंगाई छह साल के सबसे निचले स्तर पर दर्ज की गई थी, जिसका असर अब नीतिगत फैसलों पर स्पष्ट दिखने लगा है। लगातार दो बार रेपो दर में कटौती कर चुका केंद्रीय बैंक अब जून में तीसरी बार कटौती कर सकता है, जिससे कर्ज सस्ता होने की दिशा में एक और कदम बढ़ सकता है।
मार्च में खाने-पीने की चीजों के दाम में आई गिरावट के चलते महंगाई में तेज कमी दर्ज की गई थी। अदरक, टमाटर, गोभी, जीरा और लहसुन जैसी चीजें सबसे ज्यादा सस्ती हुईं। अदरक की कीमतों में करीब 38 फीसदी, टमाटर में लगभग 35 फीसदी और लहसुन में 25 फीसदी तक की गिरावट आई। हालांकि दूसरी ओर फल, तेल, चीनी, मसाले, हाउसिंग, शिक्षा और स्वास्थ्य जैसी कुछ सेवाओं और वस्तुओं के दाम में हल्की बढ़ोतरी भी देखी गई। इसके बावजूद महंगाई का कुल स्तर नियंत्रण में बना रहा है।
राज्यों में अलग-अलग स्थिति
देश के अलग-अलग राज्यों में महंगाई के स्तर में भी खासा अंतर नजर आया है। तेलंगाना में खुदरा महंगाई सबसे कम 1.06 फीसदी रही, जबकि केरल में यह दर सबसे ज्यादा 6.59 फीसदी तक पहुंच गई। दिल्ली, यूपी, पंजाब और हिमाचल जैसे राज्यों में महंगाई औसत से कम रही, जिससे उपभोक्ताओं को राहत मिली।
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रेपो दर में फिर राहत संभव
विशेषज्ञों का कहना है कि हालात अगर इसी तरह अनुकूल बने रहे, तो जून की एमपीसी बैठक में रेपो दर में 0.25 फीसदी तक की और कटौती की पूरी संभावना है। इसके बाद आने वाली बैठकों में भी नीतिगत दर में कुल 0.50 फीसदी तक और राहत मिल सकती है। कृषि उत्पादन के बेहतर अनुमानों और स्थिर होती कीमतों के चलते आने वाले महीनों में महंगाई नियंत्रण में रहने की उम्मीद है। दरअसल खुदरा मंहगाई में देश के अलग- अलग राज्यों में इसका असर समझ में आया है।आगे भी इसकी स्थति से और स्पष्ट हो सकता है कि सरकार किस तरह से इस सिचुऐशन को हैंडल करके बेहतर रणनीति से कोई पॉलिसी को तैयार करती है।