
प्रति व्यक्ति आय का अंतर (सोर्स- सोशल मीडिया)
Delhi Goa UP Bihar Income: भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) द्वारा जारी ‘हैंडबुक ऑफ स्टैटिस्टिक्स ऑन इंडियन स्टेट्स’ ने देश के राज्यों के बीच प्रति व्यक्ति आय (Per Capita Income) की चौंकाने वाली असमानता को उजागर किया है। रिपोर्ट के अनुसार, दिल्ली और गोवा जैसे समृद्ध राज्य आय के मामले में 5 लाख रुपए के करीब पहुंच गए हैं, जबकि बिहार और उत्तर प्रदेश जैसे पिछड़े राज्यों का आंकड़ा 1 लाख रुपए से भी काफी नीचे है। यह विस्तृत अंतर विकास के असमान वितरण को दर्शाता है और नीति-निर्माताओं के लिए गंभीर चुनौती पेश करता है।
RBI के ताजा आंकड़ों के मुताबिक, देश के कुछ राज्य प्रति व्यक्ति आय के मामले में राष्ट्रीय औसत से काफी आगे हैं। करंट प्राइसेज (मौजूदा कीमतों) पर वित्तीय वर्ष 2023-24 में, गोवा 5.86 लाख रुपए की वार्षिक प्रति व्यक्ति आय के साथ सबसे आगे है। वहीं दिल्ली की प्रति व्यक्ति आय 4.93 लाख रुपए है।
अन्य प्रमुख समृद्ध राज्यों की आय इस प्रकार है-
इन राज्यों की तेज रफ्तार की मुख्य वजह तेज औद्योगीकरण, आईटी और सर्विस सेक्टर का उभार और मजबूत इंफ्रास्ट्रक्चर को माना जा रहा है।
इसके विपरीत, देश के कई बड़े और पिछड़े राज्य प्रति व्यक्ति आय के मामले में काफी निचले पायदानों पर हैं। उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड और मणिपुर जैसे राज्यों की प्रति व्यक्ति आय की वृद्धि दर बहुत धीमी रही है।
उदाहरण के लिए, बिहार की वास्तविक प्रति व्यक्ति आय (स्थिर कीमतों पर) केवल 69,321 रुपए रही। उत्तर प्रदेश में भी वृद्धि हुई है, लेकिन यह अभी भी अखिल भारतीय औसत से काफी नीचे है। कोविड के सालों में इन राज्यों में तो कुछ समय के लिए गिरावट भी देखी गई, जिससे इन राज्यों के लिए अन्य समृद्ध राज्यों के बराबर आना मुश्किल हो गया है।
RBI के ये आंकड़े एक ‘इंडिया की इनकम लीग टेबल’ प्रस्तुत करते हैं, जो स्पष्ट रूप से दर्शाती है कि देश में विकास का लाभ समान रूप से नहीं बंटा है। समृद्ध राज्यों में ऊंची प्रति व्यक्ति आय होने से वहां खपत (Consumption) सेवाओं की मांग और टैक्स कलेक्शन ज्यादा होता है। यह एक सकारात्मक चक्र बनाता है जो आगे और अधिक निवेश को आकर्षित करता है।
दूसरी ओर, कम आय वाले राज्यों में सीमित खपत और कमजोर राजस्व के कारण बुनियादी ढांचे और सामाजिक खर्च पर पाबंदी रहती है, जिससे निजी निवेश भी धीमा रहता है।
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RBI का हैंडबुक सरकार और नीति-निर्माताओं के लिए यह स्पष्ट संकेत देता है कि यदि भारत को समग्र रूप से एक उच्च मध्यम-आय वाले देश (Upper Middle-Income Country) की दिशा में आगे बढ़ना है, तो पीछे छूट रहे राज्यों की प्रति व्यक्ति आय बढ़ाने पर विशेष फोकस करना होगा। बेहतर शिक्षा, स्वास्थ्य सुविधाएं, औद्योगिकीकरण की तेज रणनीति और लक्ष्य के मुताबिक निवेश ही इस क्षेत्रीय आर्थिक असमानता को दूर करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।






