महिला आत्मनिर्भरता का नागपुर पैटर्न। (सौजन्यः सोशल मीडिया)
नागपुर: महिला एवं बाल विकास विभाग महिलाओं के आर्थिक, सामाजिक एवं शैक्षणिक स्तर को ऊंचा उठाने में निरंतर प्रयासरत है, ताकि वे एक सम्मानजनक जीवन जी सकें। इसी कड़ी में नागपुर की 3,000 महिलाओं ने मिलकर 30 लाख रुपये की राशि जुटाई है, जिससे वे विभिन्न व्यवसायों की शुरुआत कर सकेंगी।
महिला आर्थिक विकास निगम इस पूंजी का उपयोग महिलाओं को व्यवसाय शुरू करने में सहायता प्रदान करने के लिए करेगा। विभाग के सचिव डॉ. अनुप कुमार यादव ने इस पहल की जानकारी देते हुए बताया कि मुख्यमंत्री “माझी लड़की बहिन योजना” के तहत लाभान्वित होने वाली नागपुर की महिलाओं ने नागपुर महिला सम्मान क्रेडिट को-ऑपरेटिव सोसायटी का गठन किया है।
डॉ. यादव ने कहा, “इस 30 लाख रुपये के फंड से 3,000 महिलाएं छोटे कारोबार शुरू करने जा रही हैं। यह राशि न केवल उनके स्वयं के व्यवसाय के लिए उपयोग की जाएगी, बल्कि यह अन्य महिलाओं को छोटे व्यवसाय शुरू करने के लिए पूंजी सहायता के रूप में भी दी जाएगी।” इसके अलावा, सोसायटी किसी दुर्घटना की स्थिति में सहायता भी प्रदान करेगी और यह पूंजी पर मिलने वाले ब्याज पर चलती रहेगी।
महिला एवं बाल विकास विभाग आगे आने वाली महिलाओं के लिए एक “सपोर्ट सिस्टम” भी स्थापित करने की योजना बना रहा है। डॉ. अनुप कुमार यादव ने कहा कि “महिला एवं आर्थिक विकास निगम (माविम)” के माध्यम से महिलाओं को हर संभव मदद प्रदान की जाएगी। यह पहल न केवल महिलाओं के सामर्थ्य को बढ़ाने का एक प्रयास है, बल्कि यह उन्हें आर्थिक स्वतंत्रता और आत्मनिर्भरता की दिशा में भी एक महत्वपूर्ण कदम है।
महिलाओं द्वारा उद्यमिता की इस ओर बढ़ती हुई रुचि और सामूहिकता न केवल उनके लिए व्यक्तिगत लाभ लाएगी, बल्कि पूरे समाज के आर्थिक विकास में भी सहायक होगी। यह पहल महिला सशक्तीकरण की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है और यह दिखाती है कि जब महिलाएं एकजुट होती हैं, तो वे किसी भी चुनौती का सामना कर सकती हैं।
बिजनेस सेक्टर की अन्य खबरों के लिए यहां क्लिक करें…
एक महिला मितव्ययी होकर अपने घर की जरूरतों को पूरा करती है। किराने का सामान, बच्चों की फीस या दवाइयों पर पैसा खर्च होता है। इस योजना के लाभार्थी अधिकतर ग्रामीण क्षेत्रों में हैं। किराना सामान और अन्य छोटे-बड़े दुकानदारों की खरीदारी होने से गांव के छोटे व्यापारियों को भी परोक्ष रूप से फायदा होता है। ग्रामीण क्षेत्रों में लगभग 7.5 लाख महिला स्वयं सहायता समूह काम कर रहे हैं, जिनमें महिला और आर्थिक विकास निगम (MAVIM) के माध्यम से लगभग 1.5 लाख और महाराष्ट्र ग्रामीण जीवनोटी अभियान के माध्यम से लगभग 6 लाख शामिल हैं।
इस योजना के माध्यम से महिलाओं के लिए एक साथ एकत्रित होकर और इन स्वयं सहायता समूहों के माध्यम से धन जुटाकर विभिन्न उद्यमशीलता गतिविधियों को अंजाम देना संभव है। इन सभी पहलुओं से ग्रामीण क्षेत्रों में धन का प्रवाह बढ़ेगा और ग्रामीण क्षेत्रों में चक्रीय अर्थव्यवस्था मजबूत होगी। डॉ. अनुप कुमार यादव ने कहा है कि इससे ग्रामीण क्षेत्रों की जरूरतें पूरी होने से शहर की ओर पलायन रोकने में मदद मिलेगी।
मुख्यमंत्री माझी लड़की बहिन योजना का लाभ मुख्य रूप से राज्य के ग्रामीण और आदिवासी क्षेत्रों के साथ-साथ शहर की मलिन बस्तियों की महिलाओं को मिल रहा है। इस प्रकार समाज की जरूरतमंद महिलाओं को इस योजना में शामिल किया गया है। इस योजना से उनका आर्थिक उत्थान एवं सशक्तिकरण होगा। महिला सदर योजना के नियम एवं शर्तों के अनुसार कुछ लाभुक अयोग्य होने के कारण वे स्वयं ही लाभ वापस कर रहे हैं। इस प्रकार, अन्य लाभार्थी महिलाएं जो इस योजना के लिए अपात्र हैं, यदि वे स्वयं लाभ वापस करना चाहती हैं या यदि वे अब लाभ नहीं चाहती हैं, तो उन्हें यह सुविधा प्रदान की गई है।