आईफोन प्रोडक्शन (सौ. डिजाइन फोटो )
ट्रंप के टैरिफ वॉर का असर पूरी दुनिया पर देखा जा रहा था। इसी सिलसिले में कई बड़ी कंपनियों ने अमेरिका और चीन में ट्रेड वॉर छिड़ने के डर से अपने प्रोडक्शन हब को दूसरे देशों में शिफ्ट करने की योजना बनायी थी।
फिलहाल भारत में एप्पल आईफोन का प्रोडक्शन धीमा जरूर है, लेकिन ये फिर भी स्थिर हैं। 2 मार्केट रिसर्च फर्म और इंडस्ट्री डेटा के आंकड़ों के अनुसार, मई के महीने में एप्पल इंडिया के वेंडर्स ने 15,000 करोड़ से ज्यादा कीमत वाले आईफोन का प्रोडक्शन किया है, जो पिछले 2 महीनों की फास्ट स्पीड से थोड़ा कम है, लेकिन साल 2024 में 10,000 से 11,000 करोड़ के एवरेज से अब भी काफी आगे हैं।
इंडस्ट्री एक्सपर्ट्स को अब बाकी साल के लिए एवरेज 15,000 करोड़ मासिक दर की उम्मीद की जा रही है। मई के महीने तक, एप्पल वेंडर्स ने इस साल डोमेस्टिक सेल्स और एक्सपोर्ट दोनों के लिए पहले ही 84,000 हजार करोड़ रुपये की कीमत के आईफोन बना लिए हैं। मीडिया रिपोर्ट की समीक्षा किए गए उद्योग के आंकड़ों के अनुसार, ये साल 2024 के कंप्लीट डोमेस्टिक कंज्पशन के बराबर हैं।
वित्त वर्ष 2024 के मार्च महीने में भारत में आईफोन का उत्पादन 19,630 करोड़ रुपये के हाई लेवल पर पहुंच गया था। प्रोडक्शन बढ़ाने के पीछे का कारण ये था कि रेसिप्रोकल टैरिफ के लागू होने से पहले कंपनी आईफोन को अमेरिका को भेजना चाहती है। मार्च महीने में ये खबर आयी थी एप्पल ने 5 फ्लाइट भर कर आईफोन अमेरिका को भेजे थे।
भारत में एप्पल के दोनों सप्लायर फॉक्सकॉन और टाटा इलेक्ट्रॉनिक्स ने प्रोडक्शन बढ़ाया है। 2 मार्केट ट्रैकर्स के द्वारा किए जाने वाले विश्लेषण से ये जानकारी मिलती है कि टाटा इलेक्ट्रॉनिक्स भारत में 35 प्रतिशत आईफोन का प्रोडक्शन करती है, तो साथ ही फॉक्सकॉन के पास बाकी 65 प्रतिशत हिस्सेदारी है।
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कुछ मीडिया रिपोर्ट्स के आंकड़ों के अनुसार, पिछले साल टाटा इलेक्ट्रॉनिक्स और फॉक्सकॉन का आईफोन प्रोडक्शन से टोटल रेवेन्यू 1.38 लाख करोड़ था, जिसमें से फॉक्सकॉन का हिस्सा लगभग 90,000 करोड़ और टाटा इलेक्ट्रॉनिक्स का बाकी हिस्सा 48,000 करोड़ का था।