हाइड्रोजन गैस (सौ. सोशल मीडिया )
नई दिल्ली : इंडस्ट्रियल प्रोडक्शन और फ्यूल के लिए उपयोग होने वाली हाइड्रोजन गैस की खपत आने वाले कुछ सालों में काफी बढ़ सकती हैं। बताया जा रहा है कि देश में हाइड्रोजन की डिमांड साल 2032 तक 3 परसेंट की सालाना बढ़त के साथ बढ़ने की उम्मीद की जा रही है।
इसकी खपत हर साल बढ़कर 88 लाख टन होने की उम्मीद की जा रही है। मंगलवार को भारत ऊर्जा भंडारण गठबंधन यानी आईएसए के द्वारा जारी रिपोर्ट में इस बात की जानकारी दी गई है।
भारत ऊर्जा भंडारण सप्ताह के पहले दिन यहां जारी रिपोर्ट में कहा गया है कि 90 लाख टन सालाना से अधिक क्षमता की हरित हाइड्रोजन परियोजनाओं की घोषणाओं के बावजूद, उनमें से कुछ ही अंतिम निवेश निर्णय पर पहुंच पाई हैं या घरेलू अथवा अंतरराष्ट्रीय बाजारों से दीर्घकालिक खरीद को लेकर समझौते किए गए हैं।
रिपोर्ट के अनुसार, 92 लाख टन सालाना हरित हाइड्रोजन परियोजना घोषणाओं में से 82 प्रतिशत चार राज्यों में हैं। ये राज्य हैं… ओडिशा (38 प्रतिशत), गुजरात (26 प्रतिशत), कर्नाटक (12 प्रतिशत), आंध्र प्रदेश (6 प्रतिशत)। घोषित परियोजनाओं में से लगभग 72 प्रतिशत अमोनिया उत्पादन के लिए हरित हाइड्रोजन के उपयोग को को लेकर है। जबकि 20 प्रतिशत ने अंतिम उपयोग के बारे में घोषणा नहीं की है।
आईईएसए के अध्यक्ष देबमाल्या सेन ने कहा है कि यह सम्मेलन भारत के लिए एक मजबूत एनर्जी सिस्टम में बदलाव का रास्ता साफ करेगा। इससे यह सुनिश्चित होगा कि हम अपनी बढ़ती एनर्जी डिमांड को पूरा कर सकें और साथ ही साल 2030 तक 50 लाख टन सालाना ग्रीन हाइड्रोजन की प्रोडक्शन कैपेसिटी के अपने टारगेट को भी ध्यान में रख सकें।
कस्टमाइज्ड एनर्जी सॉल्यूशंस यानी सीईएस के एमडी विनायक वालिम्बे ने कहा कि ग्रीन हाइड्रोजन मिशन को बढ़ावा देने के लिए विभिन्न नीतिगत हस्तक्षेपों और सरकारी उपायों के बाद, कार्बन एमीशन में कमी लाने के मुद्दे के सोल्यूशन को लेकर कई चुनौतियां बनी हुई हैं।
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हाइड्रोजन प्राप्त करने वाले कंज्यूमर के लिए स्टोरेज और ट्रांसपोर्टेशन एक्सपेंस के कारण हाइड्रोजन की कॉस्ट और भी ज्यादा है। ये कंज्यूमर कुल हाइड्रोजन बाजार का लगभग 6 प्रतिशत प्रतिनिधित्व करते हैं। भारत एनर्जी स्टोरेज वीक-2025 के 11वें सीजन की शुरुआत मंगलवार को आईआईसीसी यशोभूमि में हुई। इसका आयोजन आईईएसए कर रहा है।
(एजेंसी इनपुट के साथ)