दही-चीनी खिलाने की परंपरा (सौ.सोशल मीडिया)
नई दिल्ली: आज देशवासियों की नजरें लोकसभा में पेश होने वाले पूर्ण बजट वित्तीय वर्ष 2025-26 पर केंद्रित है। जहां पर देश की वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण लगातार आठवां आम बजट पेश करेगी यहां पर सभी वर्गों के लिए यह बजट उम्मीदों भरा माना जा रहा है। बजट पेश होने के पहले वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण, राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मू से मिलने पहुंची है।
इस दौरान औपचारिक मुलाकात के बाद परंपरा के अनुसार, राष्ट्रपति मुर्मू ने वित्त मंत्री को दही-चीनी भी खिलाई। आखिर किसी नए कार्य से पहले क्यों निभाई जाती है ये दही- चीनी खिलाने की परंपरा चलिए जान लेते है।
आपको इस दही-चीनी खिलाने की परंपरा की जानकारी देते चलें तो, भारत संस्कृति और अनूठी परंपराओं वाला देश है जहां पर दही-चीनी खिलाने की परंपरा भी इनमें से एक है। कहते हैं इस परंपरा को निभाने के पीछे माना जाता है कि, काम में सफलता मिलती है इतना ही नहीं यहां पर दही को शुद्धता और पवित्रता का प्रतीक माना जाता है, जबकि चीनी को मिठास और सौहार्द का प्रतीक माना जाता है। इस वजह से दही-चीनी खिलाने की परंपरा निभाई जाती है।
यहां पर केंद्रीय बजट पेश करने से पहले वित्त मंत्री राष्ट्रपति से मुलाकात करते हैं और इसके बाद राष्ट्रपति द्वारा वित्त मंत्री को दही-चीनी खिलाकर बजट के लिए उन्हें शुभकामनाएं दी जाती हैं. इस परंपरा के पूरा होने से बजट पेश करने की औपचारिक अनुमति भी दी जाती है।
बजट की खबरें जानने के लिए क्लिक करें
आपको बताते चलें कि, वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण अपने कार्यकाल का आठवां बजट पेश करने वाली है इससे पहले वे अब तक लगातार सात बार बजट पेश कर चुकी है। जहां पर इसमें पहले छह पूर्णकालिक और दो अंतरिम बजट पेश कर चुकी हैं. सीतारमण ने लगातार आठों बजट प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार में ही पेश किए हैं। बताया जा रहा है कि, 2019 में वे दूसरी वित्तमंत्री बनी थी इससे पहले इंदिरा गांधी पहली वित्त मंत्री थी। जिन्होंने वित्त मंत्री के तौर पर 1970-71 का बजट पेश किया था