आर्थिक सर्वेक्षण 2024 की रिपोर्ट सामने आ गई है। इसे मुख्य आर्थिक सलाहकार वी. अनंत नागेश्वरन और उनकी टीम ने पेश किया है। आइए फोटो गैलरी के माध्यम से आपको बताते हैं इस रिपोर्ट के 10 की प्वाइंट्स--
आर्थिक सर्वेक्षण 2024 (सांकेतिक तस्वीर)
आर्थिक सर्वेक्षण 2024 वित्त वर्ष 2024-25 में आर्थिक वृद्धि दर 6.5 से सात प्रतिशत रहने का अनुमान है। जबकि 2023-24 में यह 8.2 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया था। (फोटो-एएनआई)
सर्वेक्षण रिपोर्ट में कहा गया है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी नीत सरकार का अभूतपूर्व तीसरा लोकप्रिय जनादेश राजनीतिक तथा नीतिगत निरंतरता का संकेत देता है। (फोटो-एएनआई)
अनिश्चित वैश्विक आर्थिक प्रदर्शन के बावजूद वित्त वर्ष 2023-24 में घरेलू स्तर पर वृद्धि को बढ़ावा देने वाले तत्वों ने आर्थिक वृद्धि को सहारा दिया। जो कि भारत के लिए अच्छे संकेत हैं। (फोटो-एएनआई)
सर्वेक्षण रिपोर्ट में कहा गया है कि भारतीय अर्थव्यवस्था मजबूत तथा स्थिर स्थिति में है, जो भू-राजनीतिक चुनौतियों से निपटने में उसकी जुझारू क्षमता को दर्शाता है। (फोटो-एएनआई)
वैश्विक महामारी के प्रभावों से पूरी तरह निकलने के लिए घरेलू मोर्चे पर कड़ी मेहनत करनी होगी। जिससे अर्थव्यस्था को और बेहतर रफ्तार मिल सके। (फोटो-सोशल मीडिया)
व्यापार, निवेश तथा जलवायु जैसे प्रमुख वैश्विक मुद्दों पर सहमति बनाना असाधारण रूप से कठिन हो गया है। इस लिहाज से सरकार को इसके लिए कई ज़रूरी कदम उठाने होंगे (फोटो-गूगल)
अल्पकालिक मुद्रास्फीति का पूर्वानुमान अनुकूल है, लेकिन भारत को दलहनों में लगातार कमी और परिणामस्वरूप मूल्य दबाव का सामना करना पड़ रहा है। (फोटो-गूगल)
मानसून के सामान्य रहने की उम्मीद और आयात कीमतों में नरमी से आरबीआई के मुद्रास्फीति अनुमानों को बल मिलता है। जिससे निपटन के लिए सरकार के उचित कदम उठाने होंगे (फोटो-सोशल मीडिया)
गरीब तथा निम्न आय वाले उपभोक्ताओं के लिए उच्च खाद्य कीमतों के कारण होने वाली कठिनाइयों को प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण या उचित अवधि के लिए वैध निर्दिष्ट खरीद के वास्ते ‘कूपन’ के जरिये नियंत्रित किया जा सकता है। (फोटो-एएनआई)
आर्थिक सर्वेक्षण रिपोर्ट में यह पता लगाने के तरीके सुझाए दिए गए हैं कि क्या भारत के मुद्रास्फीति लक्ष्यीकरण ढांचे को खाद्य वस्तुओं को छोड़कर मुद्रास्फीति दर को लक्षित करना चाहिए। (फोटो-एएनआई)