नीतीश कुमार व चंद्रबाबू नायडू (डिजाइन फोटो)
नई दिल्ली: मोदी सरकार 3.0 का पहला आम बजट सदन में पेश होने वाला है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की अगुवाई वाली टीम ने इसका ख़ाका तैयार किया जा रहा है। 22 जुलाई से सदन के बजट सत्र का आग़ाज होगा, जहां 23 जुलाई वित्त मंत्री बजट पेश करेंगी। एनडीए की सहयोगी दल तेलगु देशम पार्टी और जनता दल (यूनाईटेड) भी बजट में अपनी कई बड़ी मागों को पूरा करवाने की कोशिश में जुटी हुई है। ऐसे में सरकार के सामने दुविधा की स्थिति पैदा हो गई है।
22 जुलाई को संसद के बजट सत्र की शुरुआत होने जा रही है। 23 जुलाई को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण लोकसभा में आम बजट पेश करेंगी। बजट का खाका भी तेजी से तैयार किया जा रहा है। लेकिन इस बीच सरकार के सामने दुविधा की स्थिति पैदा हो गई है। खबरों की मानें तो चंद्रबाबू नायडू और नीतीश कुमार ने बजट में सरकार से कई बड़ीं मांगें की हैं।
कहा जा रहा है कि टीडीपी और जदयू की तरफ बजट पेश होने से पहले करीब 48 हजार करोड़ रुपए के पैकेज की डिमांड की गई है। सूत्रों के हवाले से बताया जा रहा है कि यह मांग दोनों ही पार्टियों ने अपने-अपने राज्य में बुनियादी ढांचे पर खर्च करने के लिए की है।
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ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट की मानें तो चंद्रबाबू नायडू ने अकेले आंध्र प्रदेश के लिए करीब एक लाख करोड़ रुपए की मांग की है। रिपोर्ट में दावा किया गाय है कि इस सप्ताह के शुरू में चंद्रबाबू नायडू ने पीएम मोदी और वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण से मुलाक़ात की है। रिपोर्ट में बिहार को लेकर कहा गया है कि नीतीश कुमार की तरफ से भी प्रदेश में नौ नए एयरपोर्ट के साथ दो इलेक्ट्रिसिटी परियोजनाएं, सात नए मेडिकल कॉलेजेस और दो रिवर वाटर प्रोजेक्ट के लिए अनुदान की मांग की गई है।
गौरतलब है कि इस बार लोकसभा चुनाव में टीडीपी और जदयू किंगमेकर की भूमिका में सामने आई हैं। इसके साथ ही बिहार में अगले साल विधानसभा चुनाव भी होने हैं। ऐसे में नीतीश कुमार ने सही मौके पर चौका मारा है। इसलिए नीतीश कुमार की मांगों को पूरा करना लगभग तय माना जा रहा है। वहीं, केन्द्र सरकार अगर नीतीश की मांग पूरी करती है तो टीडीपी की मांग पूरी करना भी उसकी मजबूरी बन जाएगी। क्योंकि एक दल को वेटेज देने से दूसरा दल नाराज हो सकता है!