
2025 में इन चीज़ों की कीमतों ने उपभोक्ताओं को रुलाया (सोर्स-सोशल मीडिया)
Cost of Living Crisis: 2025 का साल आम आदमी के लिए महंगाई के मोर्चे पर काफी चुनौतीपूर्ण रहा। बढ़ती कीमतों ने उपभोक्ताओं के घरेलू बजट पर खासा असर डाला। आवश्यक वस्तुओं की कीमतों में हुई वृद्धि ने जीवनयापन की लागत को बढ़ा दिया। आइए जानते हैं किन-किन चीजों पर सबसे ज्यादा बोझ पड़ा है।
2025 में खाद्य पदार्थों की कीमतों में आई तेजी ने उपभोक्ताओं को सबसे ज्यादा परेशान किया। खाद्य तेल (Edible Oil) की कीमतों में अप्रत्याशित वृद्धि देखने को मिली। यूक्रेन-रूस संघर्ष और इंडोनेशिया के निर्यात प्रतिबंधों जैसे वैश्विक कारणों से सूरजमुखी, सोयाबीन और पाम तेल की कीमतें ऊंचाई पर पहुंच गईं। इसका सीधा असर रसोई के बजट पर पड़ा।
दालों (Pulses) की कीमतों में भी काफी उछाल आया, खासकर अरहर (Tur) और मसूर (Masoor) दाल की कीमतों में, जिसका कारण मानसूनी बारिश में कमी और जमाखोरी को माना गया। सब्जियों के दाम साल भर अस्थिर रहे, कभी टमाटर, कभी प्याज तो कभी हरी सब्जियों की कीमतें आसमान छूती रहीं। इसका मुख्य कारण सप्लाई चेन में रुकावट और मौसमी बदलाव थे।
पेट्रोल और डीजल की कीमतों में लगातार वृद्धि ने न केवल यातायात बल्कि माल ढुलाई की लागत को भी बढ़ा दिया। अंतरराष्ट्रीय बाजारों में कच्चे तेल की कीमतें (Crude Oil Prices) लगातार बढ़ने और केंद्र व राज्य सरकारों के टैक्स के कारण ईंधन की कीमतें रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गईं।
इसका सीधा असर हर उस सामान पर पड़ा जिसके परिवहन के लिए डीजल का इस्तेमाल होता है, यानी फल, सब्जी से लेकर औद्योगिक कच्चे माल तक सब कुछ महंगा हो गया। गैस सिलेंडर (LPG Cylinder) की कीमतों में भी कई बार वृद्धि हुई, जिससे गृहिणियों का बजट बुरी तरह से प्रभावित हुआ।
महंगाई का असर केवल रसोई तक ही सीमित नहीं रहा। आवास (Housing) की लागत भी बढ़ी। सीमेंट, स्टील और निर्माण सामग्री (Construction Material) की कीमतों में वृद्धि के कारण मकान बनाना या मरम्मत करवाना महंगा हो गया।
रेंटल प्रॉपर्टी के किराए में भी कुछ शहरों में उछाल देखने को मिला। इसके अलावा, परिवहन (Transportation) के मामले में भी उपभोक्ताओं को अधिक खर्च करना पड़ा, क्योंकि ऑटो पार्ट्स महंगे होने और ईंधन की कीमतों के कारण कैब और ऑटो-रिक्शा के किराए में बढ़ोतरी हुई।
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इन सभी चीजों की कीमतों में वृद्धि के कारण मुद्रास्फीति (Inflation) की दर ऊंची बनी रही। आम आदमी को अपनी ज़रूरतों को पूरा करने के लिए अपनी बचत का अधिक हिस्सा खर्च करना पड़ा। इससे मध्यम वर्ग और गरीब वर्ग के लोगों को सबसे ज्यादा कठिनाइयों का सामना करना पड़ा। विशेषज्ञों ने सरकार से मांग की कि वह आपूर्ति पक्ष की बाधाओं को दूर करने और टैक्स कटौती जैसे कदम उठाकर उपभोक्ताओं को राहत प्रदान करे।






