
RBI की तीन दिवसीय मौद्रिक नीति बैठक आज से (सोर्स- सोशल मीडिया)
RBI Monetary Policy Friday: भारतीय रिज़र्व बैंक (आरबीआई) की महत्वपूर्ण तीन दिवसीय मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की बैठक बुधवार को मुंबई में शुरू हो गई है। समिति के सदस्य देश की वर्तमान आर्थिक स्थिति की समीक्षा करेंगे, जिसमें हालिया मजबूत सकल घरेलू उत्पाद (GDP) वृद्धि और रिकॉर्ड निचले स्तर की मुद्रास्फीति शामिल है। मौद्रिक नीति के भविष्य की दिशा पर विस्तृत चर्चा के बाद, अंतिम नीतिगत फैसलों की घोषणा RBI गवर्नर संजय मल्होत्रा 5 दिसंबर, शुक्रवार को सुबह 10 बजे करेंगे। इस बैठक पर न केवल बैंकिंग क्षेत्र, बल्कि पूरे देश की नजर टिकी हुई है।
भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) की मौद्रिक नीति समिति (MPC) की बैठक आज 3 दिसंबर से शुरू हो गई है, जो 5 दिसंबर तक चलेगी। इस बैठक का आयोजन एक ऐसे महत्वपूर्ण समय में हो रहा है जब देश की आर्थिक स्थिति काफी मजबूत बनी हुई है, लेकिन ब्याज दरों को लेकर अनिश्चितता का माहौल है। समिति के सदस्य मौजूदा वृहत आर्थिक आंकड़ों, खासकर सकल घरेलू उत्पाद (GDP) की वृद्धि और खुदरा मुद्रास्फीति की स्थिति पर गहराई से विचार करेंगे, ताकि आगे की मौद्रिक नीति का रास्ता तय किया जा सके।
बैठक के लिए सबसे महत्वपूर्ण पृष्ठभूमि यह है कि भारत का आर्थिक प्रदर्शन उम्मीद से कहीं बेहतर रहा है। चालू वित्त वर्ष 2025-26 की दूसरी तिमाही (जुलाई-सितंबर) में जीडीपी वृद्धि दर 8.2 प्रतिशत दर्ज की गई है, जो बाजार की उम्मीदों से काफी ज्यादा है। वहीं, महंगाई के मोर्चे पर एक बड़ा सकारात्मक बदलाव देखने को मिला है। सांख्यिकी एवं कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय (MOSPI) के आंकड़ों के अनुसार, भारत की खुदरा मुद्रास्फीति (CPI) अक्टूबर 2025 में तेजी से गिरकर मात्र 0.25 प्रतिशत के रिकॉर्ड निचले स्तर पर आ गई है। खाद्य कीमतों में लगातार गिरावट के कारण यह कमी आई है और आगे भी इसमें कमी आने की संभावना है।
इन परस्पर विरोधी आर्थिक संकेतों के बीच, अधिकांश विशेषज्ञ और बैंक ऑफ बड़ौदा जैसी प्रमुख वित्तीय संस्थाएं उम्मीद कर रही हैं कि केंद्रीय बैंक इस नीति समीक्षा में रेपो रेट को अपरिवर्तित रखेगा। वर्तमान में रेपो रेट 5.50 प्रतिशत पर स्थिर रहने की संभावना है और साथ ही RBI का रुख भी ‘तटस्थ’ बना रह सकता है। मजबूत आर्थिक वृद्धि ब्याज दरों को कम करने के पक्ष में नहीं है, क्योंकि केंद्रीय बैंक आमतौर पर ऐसी स्थिति में कटौती से बचते हैं। हालांकि, रिकॉर्ड-कम मुद्रास्फीति आमतौर पर दरों में कटौती की मांग करती है।
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केयरएज रेटिंग्स के एमडी और ग्रुप सीईओ, मेहुल पंड्या के अनुसार, यह स्थिति RBI के लिए एक विरोधाभास पैदा करती है। एक तरफ, मजबूत जीडीपी वृद्धि ब्याज दरों में कटौती न करने का संकेत देती है, जबकि दूसरी तरफ, कम मुद्रास्फीति कटौती करने का संकेत देती है। इस दुविधा के कारण, रेपो रेट में संभावित कटौती की गुंजाइश होने के बावजूद, केंद्रीय बैंक एहतियाती तौर पर सतर्कता का रुख अपना सकता है। नीतिगत घोषणा 5 दिसंबर, शुक्रवार को RBI गवर्नर संजय मल्होत्रा द्वारा की जाएगी, जिस पर सभी की निगाहें टिकी रहेंगी।






