(प्रतीकात्मक तस्वीर)
Gold Mines In India: भारत के लिए फिर एक बड़ी खबर सामने आई है। दरअसल, देश के कई अलग-अलग जगहों में सोने के बड़े खजाने को खोज निकाला गया है। मीडिया रिपोर्ट में किए जा रहे दावे के मुताबिक, ओडिशा के कई जिलों में लगभग 20 टन तक के गोल्ड रिजर्व मिलने अनुमान लगाया जा रहा है। हाल ही में जियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया (GSI) की खोज के बाद राज्य सरकार और खनन विभाग तुरंत हरकत में आ गए हैं।
आपको बताते चलें कि अभी तक आधिकारिक रूप से यह जानकारी सामने नहीं आया है कि इन जगहों पर मिले सोने की मात्रा कितनी है। हालांकि, शुरुआती आकलन के मुताबिक, गोल्ड रिजर्व 10 से 20 मीट्रिक टन तक का सोने होने की बात कही जा रही है। भले ही यह भारत के बड़े गोल्ड इंपोर्ट की तुलना में छोटा हो, लेकिन घरेलू उत्पादन बढ़ाने की दिशा में यह अहम कदम है।
ओडिशा सरकार, ओडिशा माइनिंग कॉरपोरेशन (OMC) और GSI एकसाथ मिलकर तेजी से इस खोज को व्यावसायिक रूप देने की दिशा में काम कर रहे हैं। सबसे पहले देवगढ़ जिले में पहला गोल्ड माइनिंग ब्लॉक नीलामी के लिए तैयार किया जा रहा है। G3 से G2 लेवल तक विस्तृत ड्रिलिंग और सैंपलिंग की जा रही है, ताकि भंडार की गुणवत्ता और निकासी की संभावना तय हो सके।
इन जिलों के अलावा, मयूरभंज, मलकानगिरी, संभलपुर और बौध जिलों में भी गोल्ड रिजर्व की खोज जारी है।
अगर यह खजाना व्यावहारिक रूप से निकाला गया तो इलाके में इंफ्रास्ट्रक्चर, रोजगार और सेवाओं का विस्तार होगा। भारत की सोने के लिए आयात निर्भरता में हल्की गिरावट देखने को मिल सकती है। इसके साथ ओडिशा की पहचान केवल लौह अयस्क और बॉक्साइट ही नहीं, बल्कि सोने के हब के रूप में भी हो सकती है। पहले से ही ओडिशा में भारत के 96 प्रतिशत क्रोमाइट, 52 प्रतिशत बॉक्साइट और 33 प्रतिशत लौह अयस्क का खजाना है। अब सोने की खोज इस सूची में एक नया मुकाम जोड़ देगी।
ये भी पढ़ें: घरेलू शेयर मार्केट में बिकवाल बन रहे FPI, अगस्त में अब तक ₹20,975 करोड़ निकाले
गोल्ड रिजर्व की खोज की फाइनल रिपोर्ट तैयार करने के बाद प्रयोगशाला में विश्लेषण किया जाएगा। इसके बाद तकनीकी कमेटियों द्वारा व्यावसायिक संभावनाओं का आकलन किया जाना है। इस सभी प्रक्रियाएं पूरी करने के बाद पारदर्शी नीलामी और निवेश आकर्षण पर जोर रहेगा। वहीं, पर्यावरण और सामाजिक प्रभाव का अध्ययन भी किया जाएगा। कुल मिलाकर, ओडिशा का यह सोना भारत की खनन रणनीति में नया अध्याय लिख सकता है और स्थानीय लोगों के लिए आर्थिक वरदान साबित हो सकता है।