सीतामढ़ी विधानसभा चुनाव (सोर्स- डिजाइन)
Bihar Assembly Election 2025: पुनौरा धाम में माता सीता की जन्मस्थली और हाल ही में हुए जानकी मंदिर के शिलान्यास ने इस क्षेत्र को हिंदुत्व की राजनीति के केंद्र में ला खड़ा किया है।
सीतामढ़ी में जानकी मंदिर का शिलान्यास मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की मौजूदगी में हुआ। इसे भाजपा-जदयू गठबंधन का सियासी मास्टरस्ट्रोक माना जा रहा है। यूपी की अयोध्या सीट की तर्ज पर सीतामढ़ी को हिंदुत्व और विकास के प्रतीक के रूप में पेश किया जा रहा है।
विपक्ष भी इस धार्मिक माहौल को भुनाने में पीछे नहीं है। राहुल गांधी, प्रियंका गांधी और तेजस्वी यादव की ‘वोटर अधिकार यात्रा’ और जानकी मंदिर में दर्शन ने इस सीट पर सॉफ्ट हिंदुत्व की लड़ाई को और धार दी है। यह रणनीति भाजपा के प्रभाव को संतुलित करने की कोशिश मानी जा रही है।
सांस्कृतिक जुड़ाव और मिथिला की पहचान
सीतामढ़ी और नेपाल के बीच सांस्कृतिक समानताएं इस सीट को खास बनाती हैं। मिथिला संस्कृति, मधुबनी पेंटिंग और मैथिली भाषा दोनों क्षेत्रों में प्रचलित हैं। छठ पूजा जैसे पर्वों में नेपाल और सीतामढ़ी के लोग एक साथ भाग लेते हैं, जिससे यह क्षेत्र एक सांस्कृतिक सेतु बन जाता है।
सीतामढ़ी विधानसभा में वैश्य, ब्राह्मण, यादव और मुस्लिम मतदाताओं का मिश्रण है। यह जातिगत विविधता यहां की राजनीति को जटिल और रोचक बनाती है। सामाजिक गतिशीलता के चलते हर चुनाव में समीकरण बदलते रहते हैं, जिससे प्रत्याशियों की रणनीति भी बदलती है।
हालांकि धार्मिक और सांस्कृतिक पहचान के बावजूद सीतामढ़ी में विकास की गति धीमी रही है। स्थानीय लोगों का कहना है कि वर्षों से इस क्षेत्र में जाम, जलभराव और रोजगार की समस्याएं जस की तस बनी हुई हैं। सोशल मीडिया पर विधायक की अनुपस्थिति और समस्याओं के समाधान न होने की शिकायतें आम हैं।
सीतामढ़ी में अपराध बेलगाम है। हाल की घटनाओं ने इस क्षेत्र को राष्ट्रीय चर्चा में ला दिया है। जनता का आरोप है कि प्रशासनिक स्तर पर ठोस कार्रवाई नहीं हो रही है, जिससे असुरक्षा की भावना बढ़ी है। जलनिकासी जैसी बुनियादी समस्याओं पर भी कोई ठोस पहल नहीं दिख रही।
चुनाव आयोग के जनवरी 2024 के आंकड़ों के अनुसार, सीतामढ़ी विधानसभा की कुल जनसंख्या 5,08,713 है। इसमें कुल वोटर 3,10,237 हैं, जिनमें पुरुष मतदाता 1,64,057, महिला मतदाता 1,46,161 और थर्ड जेंडर मतदाता 19 हैं। यह आंकड़े चुनावी रणनीति तय करने में अहम भूमिका निभा रहे हैं।
इस सीट पर भाजपा और राजद के बीच सीधी टक्कर देखने को मिलती रही है। 2020 में भाजपा के मिथिलेश कुमार ने जीत हासिल की थी, जबकि 2015 में राजद ने बाजी मारी थी। इस बार भाजपा फिर से जीत दोहराना चाहेगी, वहीं राजद पिछली हार का बदला लेने के इरादे से मैदान में उतरेगी।
स्थानीय लोगों में वर्तमान भाजपा विधायक को लेकर नाराजगी है। उनका कहना है कि विधायक क्षेत्र का दौरा नहीं करते और जलनिकासी जैसी समस्याओं पर कोई काम नहीं हुआ है। यह असंतोष चुनावी नतीजों को प्रभावित कर सकता है, जिससे विपक्ष को मौका मिल सकता है।
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सीतामढ़ी विधानसभा इस बार न सिर्फ धार्मिक और सांस्कृतिक मुद्दों पर, बल्कि विकास, रोजगार और प्रशासनिक जवाबदेही जैसे सवालों पर भी वोट मांगेगी। ऐसे में यह देखना दिलचस्प होगा कि जानकी मंदिर की छाया में कौन-सी पार्टी जनता का विश्वास जीत पाती है।