
शेखपुरा विधानसभा सीट: (डिजाइन फोटो )
Sheikhpura Assembly Seat Profile: बिहार के सबसे छोटे जिले, शेखपुरा की विधानसभा सीट इस बार फिर से एक दिलचस्प चुनावी मुकाबले के लिए तैयार है। 1994 में मुंगेर से अलग होकर अस्तित्व में आया यह जिला, उत्तर में नालंदा और पटना, तथा दक्षिण में नवादा और जमुई जैसे जिलों से घिरा है। भौगोलिक रूप से यह समतल है, जिसमें अरियरी, चेवाड़ा और घाटकुसुंभा जैसे प्रखंड शामिल हैं।
यहां की अधिकांश कृषि आजीविका मानसून पर निर्भर रहती है, क्योंकि सिंचाई की पर्याप्त सुविधा नहीं है। खेती के साथ-साथ, खनन और स्टोन क्रशर जैसे छोटे उद्योग भी स्थानीय रोजगार का साधन हैं। शेखपुरा का चुनावी रण इस बार मुख्य रूप से तीन दलों के बीच केंद्रित है।
इस बार शेखपुरा विधानसभा सीट से कुल 9 प्रत्याशी मैदान में हैं। मुख्य लड़ाई इन प्रमुख उम्मीदवारों के बीच मानी जा रही है:
जेडीयू के उम्मीदवार: रणधीर कुमार सोनी
राजद के उम्मीदवार : विजय यादव (मौजूदा विधायक)
जनस्वराज पार्टी के उम्मीदवार: राजेश कुमार
शेखपुरा का इतिहास काफी समृद्ध और प्राचीन है। इसे महाभारत काल से भी जोड़ा जाता रहा है। कहा जाता है कि महाभारत काल में भीम ने यहीं हिडिम्बा से विवाह किया था, और उनके पुत्र घटोत्कच का जन्म हुआ था। इस ऐतिहासिक कथा से जुड़े प्रमाण आज भी ‘गिरिहिन्दा’ गांव में देखने को मिलते हैं। सांस्कृतिक विरासत के रुप में यह जिला कभी मगध साम्राज्य का हिस्सा था और आज भी मगध की सांस्कृतिक परंपराओं को संजोए हुए है।
राजनीतिक दृष्टि से शेखपुरा विधानसभा लंबे समय तक कांग्रेस का एक मजबूत गढ़ रही है। पहले यहां कांग्रेस का वर्चस्व हुआ करता था। यहां पर कांग्रेस ने अब तक 12 बार जीत दर्ज की है। अन्य दलों की बात करें तो सीपीआई को 3, जदयू को 2 और राजद को 1 बार जीत मिली है।
बिहार के पहले मुख्यमंत्री श्रीकृष्ण सिंह 1957 में इसी सीट से विधायक बने थे, जिससे इस सीट का महत्व और बढ़ जाता है। इसके साथ ही साथ राजो सिंह ने लंबे समय तक ये सीट अपने पास कायम रखी। कांग्रेस नेता राजो सिंह ने लगातार पाँच बार (1967-1995) यहाँ से विधायक रहकर रिकॉर्ड बनाया था, और उनके बेटे संजय सिंह भी दो बार विधानसभा पहुंचे थे।
शेखपुरा सीट पर राष्ट्रीय जनता दल (RJD) को पहली बार सफलता 2020 के विधानसभा चुनाव में मिली। आरजेडी उम्मीदवार विजय यादव ने इस चुनाव में जीत हासिल कर सीट पर राजद का परचम लहराया। अब, राजद के विजय यादव को सीट बचाने की चुनौती है, जबकि जदयू ने रणधीर कुमार सोनी को मैदान में उतारकर अपनी पुरानी साख और खोई हुई सीट वापस हासिल करने की रणनीति बनाई है।
यह भी पढ़ें:- आरा विधानसभा: BJP का ‘दांव’ पड़ेगा उल्टा या लेफ्ट को मिलेगी जीत? क्या है आरा सीट का चुनावी समीकरण
शेखपुरा विधानसभा सीट पर जातीय समीकरण चुनावी नतीजों में बेहद अहम भूमिका निभाते हैं। इस सीट पर यादव मतदाताओं का प्रभाव निर्णायक माना जाता है, जो जीत-हार की दिशा तय करते हैं। यादवों के बाद कुर्मी और भूमिहार समुदाय के मतदाता भी महत्वपूर्ण संख्या में हैं और चुनावी नतीजों को प्रभावित करने की क्षमता रखते हैं।
राजद अपने मौजूदा विधायक और यादव वोट बैंक के दम पर सीट बरकरार रखने की कोशिश में है, जबकि जदयू अन्य समुदायों को साधकर और अपने पूर्व के दबदबे को याद दिलाकर वापसी की उम्मीद कर रही है। जनस्वराज पार्टी के राजेश कुमार इन समीकरणों को कितना प्रभावित कर पाते हैं, यह देखना दिलचस्प होगा।






