
पटना साबिह गुरुद्वारे में नीतीश कुमार (सोर्स- सोशल मीडिया)
Bihar Assembly Elections: बिहार विधानसभा चुनाव के नतीजों के लिए लोगों को 14 नवंबर का इंतजार है। इस बीच बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने पटना के अलग-अलग धार्मिक स्थलों पर पहुंचकर मत्था ठेका है। जेडीयू मुखिया बुधवार को पहले पटना जंक्शन के पास स्थित प्रसिद्ध महावीर मंदिर पहुंचे और पूजा-अर्चना की।
इसके बाद नीतीश कुमार पटना उच्च न्यायालय दरगाह गए और प्रार्थना की। उनके साथ कई अधिकारी और कैबिनेट मंत्री भी थे। इसके बाद उन्होंने पटना साहिब गुरुद्वारा में दर्शन किए। बिहार विधानसभा चुनाव के नतीजों से पहले नीतीश कुमार कथित तौर पर भक्ति भाव में डूबे हुए दिखाई दिए।
बताया जा रहा है कि एनडीए की जीत और एग्जिट पोल में जेडीयू की बढ़त से नीतीश कुमार बेहद खुश हैं। जिसके चलते मुख्यमंत्री ने विभिन्न धार्मिक स्थलों का दौरा किया, ईश्वर से प्रार्थना की और धन्यवाद दिया। इस दौरान उनके साथ बिहार सरकार में मंत्री अशोक चौधरी और विजय चौधरी भी मौजूद थे।
नीतीश कुमार जनता को संदेश देने के लिए धार्मिक स्थलों पर भी गए। नीतीश कुमार के हाव-भाव से भी पता चलता है कि वह बिहार चुनाव के एग्जिट पोल से बेहद खुश हैं। एनडीए के खेमे में यह तय माना जा रहा है कि वास्तविक चुनाव परिणाम एग्जिट पोल जैसे ही होंगे।
दूसरी तरफ नीतीश कुमार के साथ मौजूद मंत्री विजय चौधरी ने पटना में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस कर बिहार की जनता का आभार व्यक्त किया। मुख्यमंत्री ने आज ईश्वर का आभार व्यक्त किया। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने शांतिपूर्ण और निर्विवाद बिहार चुनाव के लिए बिहार की जनता और ईश्वर का आभार व्यक्त किया। इसके बाद उन्होंने विभिन्न धार्मिक स्थलों का दौरा किया और बिहारवासियों के उज्ज्वल भविष्य की कामना की।
विजय चौधरी ने कहा कि शुरुआत में ऐसा लगा कि एसआईआर मुद्दे ज़रिए चुनाव को भ्रष्ट करने की कोशिश की गई थी, लेकिन तमाम आरोपों के बावजूद एसआईआर ने सुचारू रूप से काम किया और नई मतदाता सूची भी प्रकाशित हुई। इसके बाद, आरोप एक-एक करके दूर होते गए। विपक्ष को भी एहसास हुआ कि उनके आरोप निराधार थे, इसलिए उनकी कोशिशें नाकाम रहीं।
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विजय चौधरी ने एग्जिट पोल पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि केंद्र और बिहार सरकार ने जनता के कल्याण के लिए काम किया है और नतीजे साफ़ दिख रहे हैं। सरकार के ख़िलाफ़ कहीं से कोई शिकायत नहीं आई। सत्ता में 20 साल रहने के बाद भी आलोचना का एक भी शब्द नहीं सुना गया, जो सचमुच उल्लेखनीय है।






