
नीतीश कुमार व तेजस्वी यादव (डिजाइन)
Bihar Exit Poll vs Opinion Poll: बिहार विधानसभा चुनाव के ओपिनियन पोल में आखिरी पायदान पर खड़े नीतीश कुमार एग्जिट पोल में सबको पछाड़ते दिख रहे हैं। लगभग हर एग्जिट पोल बिहार में एनडीए की सरकार बनने का अनुमान लगा रहा है। वहीं, तेजस्वी की स्थिति 2020 से भी बदतर दिख रही है।
यह बिहार विधानसभा चुनाव हर मोड़ पर लोगों को चौंका रहा है। महागठबंधन ने माहौल बनाया, लेकिन एग्जिट पोल उसे पिछड़ता दिखा रहे हैं। कमज़ोर मानी जा रही जेडीयू ने आखिरकार अपनी स्थिति सुधार ली है। जबकि, भाजपा ने भी नीतीश कुमार को कमतर आंकते हुए उन्हें बराबरी पर ला दिया था।
एग्जिट पोल इस बार भी तेजस्वी की नाकामी की ओर इशारा कर रहे हैं। वे नीतीश की स्थिति को मजबूत बता रहे हैं। वे भाजपा को बिहार में उसकी असली ताकत का एहसास करा रहे हैं। अगर एग्जिट पोल के नतीजे एग्जैक्ट पोल साबित हुए तो बिहार की सत्ता की चाबी नीतीश कुमार के हाथों में रहने वाली है।
यहां एक और चौंकाने वाला पहलू चुनाव से पहले लगातार सामने आ रहे ओपिनियन पोल हैं। क्योंकि अगस्त से अक्टूबर के बीच बिहार में हुए सभी ओपिनियन पोल में तेजस्वी यादव की छवि अपने चरम पर थी। नीतीश कुमार तीसरे स्थान पर रहे। प्रशांत किशोर की नई नवेली जन सुराज पार्टी को भी ओपिनियन पोल में काफी तवज्जो मिली।
तेजस्वी यादव मुख्यमंत्री पद के लिए शीर्ष पसंद बने रहे, जबकि जन सुराज पार्टी के प्रशांत किशोर दूसरे स्थान पर रहे। अक्टूबर में जारी अंतिम ओपिनियन पोल में भी यही स्थिति रही। हालांकि, कुछ ही दिनों बाद, नवंबर में हुए चुनावों में, परिदृश्य पूरी तरह बदल गया। नीतीश अब दोनों गठबंधनों में शीर्ष पर हैं। एग्ज़िट पोल के आंकड़े यही संकेत देते हैं।
2025 के बिहार विधानसभा चुनावों में ओपिनियन पोल और एग्जिट पोल के बीच एक बड़ा विरोधाभास है। अगस्त से अक्टूबर तक, ज्यादातर ओपिनियन पोल ने तेजस्वी यादव को मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार बताया, जबकि एग्ज़िट पोल ने एनडीए की भारी जीत और नीतीश कुमार की वापसी की भविष्यवाणी की।
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अगस्त-सितंबर में, जेवीसी और सी-वोटर जैसे पोल ने तेजस्वी को पसंदीदा मुख्यमंत्री बताया, जहां 30-38 प्रतिशत लोगों ने उन्हें अपना पसंदीदा मुख्यमंत्री माना। नीतीश 16-27 प्रतिशत वोटों के साथ तीसरे स्थान पर थे। अक्टूबर में चुनावों से ठीक पहले जारी टाइम्स नाउ-सीवोटर और मैट्रिज-आईएएनएस ओपिनियन पोल में, तेजस्वी 36.5 प्रतिशत वोटों के साथ शीर्ष पर थे। प्रशांत किशोर भी 23 प्रतिशत वोटों के साथ दूसरे स्थान पर रहे।
सबसे आश्चर्यजनक बात यह थी कि लगभग 20 वर्षों तक मुख्यमंत्री रहे नीतीश कुमार शुरू से अंत तक 15-29 प्रतिशत वोटों के साथ तीसरे स्थान पर ही रहे। इसके अलावा, कुछ ओपिनियन पोल में सीटों के अनुमान भी लगाए गए थे। जेवीसी के सीटों के अनुमान भी नवंबर में जारी किए गए थे। नीतीश को मुख्यमंत्री के रूप में कम पसंद किए जाने के बावजूद, एनडीए को 120-140 सीटें और महागठबंधन को 93-112 सीटें मिलने का अनुमान लगाया गया था। फिर भी, तेजस्वी को सीएम की पसंद में आगे बताया गया था।
अधिकांश एग्जिट पोल ने एनडीए को 130-167 सीटों के साथ महत्वपूर्ण बढ़त दी थी। औसत एग्जिट पोल एनडीए को 147 सीटों की बढ़त देते हैं। यह पिछले अनुमान से लगभग 20 सीटें अधिक है। महागठबंधन को 70 से 102 सीटें मिलने का अनुमान है। 2020 में, महागठबंधन ने 110 सीटें जीती थीं।
ओपिनियन पोल और एग्जिट पोल के अनुमानों में विरोधाभास इसलिए भी स्पष्ट है क्योंकि ओपिनियन पोल मतदान से पहले किए जाते हैं। ये लोगों की इच्छाओं का सूचक होते हैं। एग्जिट पोल मतदान के बाद किए जाते हैं। ये इच्छाओं के बजाय वास्तविकता को दर्शाने का प्रयास करते हैं। हालांकि, एग्जिट पोल के अनुमान अक्सर वास्तविकता से भटक जाते हैं।






