
कॉन्सेप्ट फोटो (डिजाइन)
Bihar Politics? बिहार विधानसभा चुनाव के नतीजों की बात तो दूर अभी वोटिंग भी नहीं हुई है, लेकिन सीएम और डिप्टी सीएम की बहस छिड़ चुकी है। चर्चा है कि इस बार अगर महागठबंधन जीता तो तीन डिप्टी सीएम बन सकते हैं। इस चर्चा के नेपथ्य में तेजस्वी यादव का ताज बयान दिखाई दे रहा है।
तेजस्वी के ताजातरीन बयान ने बिहार के सियासी समीकरणों को हिला दिया है। एक तरफ बीजेपी इस पर तंज कस रही है, तो दूसरी तरफ महागठबंधन इसे न्याय का मॉडल बताकर सामने रख रहा है। तेजस्वी यादव “सबका साथ, सबको सीट” वाले फॉर्मूले से बीजेपी को घेरने में जुटे हैं।
बिहार में सत्ता हथियाने के लिए तेजस्वी यादव अब एक नया “पावर-शेयरिंग मॉडल” लेकर आए हैं। उनका कहना है कि अगर महागठबंधन सरकार बनाता है, तो एक नहीं, बल्कि कई उप-मुख्यमंत्री बनाए जाएंगे, ताकि सरकार में हर बड़े समुदाय की आवाज़ को प्रतिनिधित्व मिले।
तेजस्वी ने साफ तौर पर कहा कि उप-मुख्यमंत्रियों में एक मुस्लिम और एक दलित नेता शामिल होगा। इससे संकेत मिलता है कि महागठबंधन इस बार सिर्फ चुनाव नहीं लड़ रहा है, बल्कि सामाजिक संतुलन बनाकर अपने वोट बैंक को मज़बूत करने की रणनीति पर काम कर रहा है।
भाजपा पर निशाना साधते हुए तेजस्वी ने कहा कि अगर वह किसी अति पिछड़े वर्ग के नेता को उप-मुख्यमंत्री बनाते हैं, तो भाजपा उन्हें ट्रोल करती है और अगर किसी मुस्लिम नेता का नाम लिया जाता है, तो उन्हें “घुसपैठिया” कहकर दुष्प्रचार किया जाता है। उन्होंने कहा कि भाजपा को प्रतिनिधित्व से तकलीफ है सत्ता की नहीं।
अंदरूनी चर्चा है कि महागठबंधन जाति के आधार पर मुस्लिम, दलित, अति पिछड़े और पिछड़े समुदायों से एक-एक को उप-मुख्यमंत्री का पद देकर राजनीतिक समीकरण बनाना चाहता है। अगर ऐसा होता है, तो बिहार देश का पहला ऐसा राज्य होगा जहां इतने सारे डिप्टी सीएम होंगे।
भाजपा और एनडीए का कहना है कि तेजस्वी सिर्फ सत्ता का लालच देकर वोट बटोरने की कोशिश कर रहे हैं। उनके अनुसार सरकार फैसलों से चलती है, पद बांटने से नहीं। हालांकि, तेजस्वी का जवाब साफ है कि फैसला वही लेंगे जिनकी आवाज बुलंद होगी।
यह भी पढ़ें: तेज प्रताप के खिलाफ उतरेंगी राबड़ी…बेटे के विरोध में करेंगी चुनाव प्रचार? खुद ही कर दिया खुलासा
तेजस्वी यादव उम्मीद कर रहे हैं कि “जिन्हें प्रतिनिधित्व मिलेगा वे वोट देंगे,” लेकिन विपक्ष का मानना है कि इतने सारे पदों की घोषणा से सत्ता हासिल होने से पहले ही राजनीतिक अस्थिरता पैदा हो जाएगी। अब फैसला 14 नवंबर को होगा। जनता इस “बहु-डिप्टी सीएम मॉडल” को स्वीकार करती है या अस्वीकार करती है।






