
बिहार विधानसभा चुनाव 2025, (कॉन्सेप्ट फोटो)
Bhagalpur Assembly Constituency: गंगा नदी के दक्षिणी तट पर बसा बिहार का तीसरा सबसे बड़ा शहर भागलपुर, जो अपनी विश्व प्रसिद्ध भागलपुरी सिल्क के कारण ‘सिल्क सिटी’ के नाम से जाना जाता है, इस बार चुनावी रणभूमि का हॉटस्पॉट बना हुआ है। यह सीट दशकों तक कांग्रेस और भाजपा के बीच वर्चस्व की लड़ाई का केंद्र रही है, जहां कांग्रेस के अजीत शर्मा 2020 में लगातार तीसरी बार जीत दर्ज कर चुके हैं। 2025 में भाजपा अपनी खोई हुई साख वापस पाने की पूरी कोशिश में होगी।
भागलपुर विधानसभा सीट पर 1951 से अब तक हुए 18 चुनावों में कांग्रेस और भाजपा का दबदबा लगभग बराबर रहा है। कांग्रेस ने 8 बार और भाजपा ने 6 बार (जनसंघ की जीत सहित 9 बार) इस सीट पर जीत हासिल की है। 1990 और 2000 के दशक में पूर्व केंद्रीय मंत्री अश्विनी चौबे ने 1995 से 2010 तक लगातार पांच बार यहां विधायक के रूप में प्रतिनिधित्व किया, जिससे यह भाजपा का एक मजबूत किला बन गया था।
2014 के उपचुनाव से कांग्रेस ने इस सीट पर मजबूत वापसी की। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अजीत शर्मा ने 2020 के विधानसभा चुनाव में भाजपा के रोहित पांडे को कड़े मुकाबले में हराकर लगातार तीसरी बार जीत हासिल की। 2025 में उनके सामने जीत का चौका लगाने की चुनौती होगी।
भागलपुर विधानसभा सीट की जनसांख्यिकी में विविधता इसकी खासियत है, जिससे चुनाव परिणाम अप्रत्याशित हो सकता है। भागलपुर विधानसभा सीट पर मुस्लिम मतदाताओं की संख्या सबसे अधिक है, जिनका झुकाव पारंपरिक रूप से कांग्रेस या राजद की ओर रहा है। वैश्य समुदाय की अच्छी-खासी आबादी सिल्क उद्योग से जुड़ी है। इसके अलावा ब्राह्मण, भूमिहार, कायस्थ और राजपूत समुदाय के वोट भाजपा के लिए निर्णायक होते हैं। चूंकि यह एक शहरी सीट है, इसलिए विकास के मुद्दे और इन विविध समुदायों की गोलबंदी ही जीत का फैसला करती है।
भागलपुर की पहचान सिर्फ राजनीति तक सीमित नहीं है। यहां की भागलपुरी सिल्क विश्व प्रसिद्ध है, जो स्थानीय अर्थव्यवस्था का मुख्य आधार है। इसके अलावा पटना के बाद भागलपुर बिहार का एकमात्र शहर है, जहां तीन प्रमुख शैक्षणिक संस्थान (जेएन मेडिकल कॉलेज, बिहार कृषि विश्वविद्यालय और आईआईआईटी) स्थित हैं।
यह प्राचीन चंपा नगरी और तिलका मांझी भागलपुर विश्वविद्यालय के नाम से जुड़ा है, जिन्होंने 1780 में ब्रिटिश शासन के खिलाफ सशस्त्र विद्रोह किया था। महर्षि मेही परमहंस आश्रम (कुप्पाघाट) और इसकी प्राचीन गुफा (जो महाभारत काल से जुड़ी है) श्रद्धालुओं का प्रमुख केंद्र है।
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2025 का चुनाव यह तय करेगा कि भाजपा इस ऐतिहासिक सीट पर अपना खोया हुआ वर्चस्व वापस पाती है या कांग्रेस के अजीत शर्मा जीत का चौका लगाकर अपना दबदबा बरकरार रखते हैं।






