
बिहार विधानसभा चुनाव 2025, (कॉन्सेप्ट फोटो)
Nathnagar Assembly Constituency: बिहार के भागलपुर जिले में गंगा नदी के किनारे बसा नाथनगर विधानसभा क्षेत्र अपनी ऐतिहासिक, धार्मिक और सांस्कृतिक विरासत के साथ-साथ राजनीतिक गतिशीलता के लिए भी महत्वपूर्ण है। यह वह भूमि है जिसे प्राचीन अंग महाजनपद की राजधानी और महाभारत के योद्धा कर्ण का शासन क्षेत्र माना जाता है। 2020 में राष्ट्रीय जनता दल (राजद) ने पहली बार इस सीट पर जीत का स्वाद चखा था, और इस बार मुकाबला राजद और एनडीए के घटक दल लोजपा (रामविलास) के बीच कड़ा होने वाला है
नाथनगर विधानसभा सीट का इतिहास समाजवादी विचारधारा वाली पार्टियों के वर्चस्व को दर्शाता है, लेकिन 2020 में एक बड़ा बदलाव आया।पिछले दो दशकों में यह सीट जनता दल यूनाइटेड (जदयू) का गढ़ रही थी, जिसने यहां अब तक 6 बार जीत दर्ज की है। हालांकि, 2020 के विधानसभा चुनाव में राजद ने पहली बार यहां जीत हासिल कर जदयू के इस मजबूत किले में सेंध लगा दी।
इस बार मुकाबला मुख्य रूप से राजद और लोजपा (रामविलास) के बीच है, जो एनडीए का घटक दल है। लोजपा (रामविलास) इस सीट पर एनडीए की ओर से जीत हासिल कर राजद के विजय रथ को रोकने की कोशिश करेगी।
नाथनगर में जातीय समीकरणों का प्रभाव सीधा और स्पष्ट है। जहां यादव और मुस्लिम मतदाताओं की संख्या काफी है, जो पारंपरिक रूप से राजद के पक्ष में एकजुट होते हैं। 2020 की जीत में इस ‘MY’ फैक्टर ने निर्णायक भूमिका निभाई थी। इसके अलावा, ब्राह्मण, कोइरी, रविदास और पासवान समुदाय के मतदाता भी अच्छी तादाद में हैं। इन वोटों का विभाजन और गोलबंदी ही अंतिम परिणाम तय करती है।
धार्मिक और सांस्कृतिक विरासत
नाथनगर की पहचान उसकी गहरी ऐतिहासिक और धार्मिक जड़ों से है। इसका चंपानगर क्षेत्र प्राचीन अंग महाजनपद की राजधानी रहा है। यहां महाभारत काल का प्रसिद्ध मनीनाथ मंदिर आज भी स्थित है, और पुरातात्विक सर्वेक्षणों में प्राचीन किलों के अवशेष मिले हैं। नाथनगर में स्थित श्री चंपापुर दिगंबर जैन सिद्ध क्षेत्र जैन धर्मावलंबियों के लिए अत्यंत पवित्र तीर्थ स्थल है। यह एकमात्र स्थान है जहां बारहवें तीर्थंकर भगवान वासुपूज्य के पांचों पंच कल्याणक संपन्न हुए थे।
गंगा नदी के किनारे बसा होने के कारण यह क्षेत्र उपजाऊ है, लेकिन यहां बाढ़ का खतरा, सिंचाई की कमी और युवाओं के लिए रोजगार के अवसर न होना भी बड़े मुद्दे हैं। राजनीतिक दलों को इन समस्याओं के समाधान के लिए विश्वसनीय योजनाएं पेश करनी होंगी।
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2025 का चुनाव यह तय करेगा कि क्या राजद अपने ‘पहले स्वाद’ को बरकरार रखती है, या लोजपा (रामविलास) एनडीए के लिए इस ऐतिहासिक सीट पर वापसी करने में सफल होती है।






