
मोहनिया विधानसभा, (कॉन्सेप्ट फोटो)
Bihar Assembly Election 2025: बिहार की कुछ विधानसभा सीटें ऐसी हैं, जहां कभी जदयू का दबदबा रहा, लेकिन आज के दौर में वहां जदयू की जगह भाजपा के उम्मीदवार चुनावी मैदान में हैं। इसमें मोहनिया विधानसभा सीट का नाम भी शामिल है, जो अनुसूचित जाति (SC) के लिए आरक्षित है।
इस सीट को लंबे समय से एनडीए (NDA) का गढ़ माना जाता रहा है, लेकिन इसका चुनावी इतिहास काफी उथल-पुथल भरा रहा है। आगामी Bihar Assembly Election 2025 में यह सीट नामांकन रद्द, दल-बदल और अजीबोगरीब राजनीतिक समीकरणों के कारण चर्चा के केंद्र में है।
मोहनिया सीट का इतिहास दलगत निष्ठाओं के बदलाव को दर्शाता है:
जदयू का प्रभुत्व (2005 और 2010): बिहार की इस चर्चित सीट पर 2005 और 2010 के विधानसभा चुनावों में जदयू के उम्मीदवारों ने जीत हासिल की थी।
भाजपा का प्रवेश (2015): 2015 के विधानसभा चुनाव में भाजपा ने इस सीट पर उम्मीदवार उतारा। यह वह दौर था, जब एनडीए से नाता तोड़कर नीतीश कुमार राजद के साथ चुनाव में गए थे। बावजूद इसके, इस सीट पर भाजपा के उम्मीदवार ने कमल खिलाने में सफलता हासिल की, जिससे यह स्पष्ट हो गया कि यहाँ व्यक्तिगत प्रभाव के साथ भाजपा का संगठनात्मक आधार मजबूत है।
2020 का उलटफेर: 2020 के विधानसभा चुनाव में एक बार फिर उलटफेर देखने को मिला। इस सीट पर एनडीए की ओर से भाजपा के उम्मीदवार को मैदान में उतारा गया था, लेकिन राजद की उम्मीदवार संगीता कुमारी ने जीत हासिल कर सीट छीन ली।
इस बार मोहनिया सीट पर Bihar Politics का एक अनोखा और जटिल समीकरण बन गया है:
दल-बदल: 2020 में राजद की टिकट पर जीत हासिल करने वाली संगीता कुमारी अब पाला बदलकर भाजपा के टिकट पर चुनावी मैदान में हैं। यह दल-बदल न केवल भाजपा के लिए एक बड़ी जीत है, बल्कि यह सीट पर मुकाबला दिलचस्प बना देता है।
नामांकन रद्द और निर्दलीय समर्थन: राजद ने इस बार श्वेता सुमन को टिकट दिया था, लेकिन उनका नामांकन रद्द कर दिया गया। इसके बाद, राजद ने मजबूरी में निर्दलीय उम्मीदवार रवि पासवान को समर्थन देने का फैसला किया है।
इस तरह, मोहनिया सीट पर मुख्य मुकाबला भाजपा की संगीता कुमारी और राजद समर्थित निर्दलीय रवि पासवान के बीच है। यह देखना दिलचस्प होगा कि जनता दल-बदल करने वाले विधायक को स्वीकार करती है, या फिर गठबंधन के समर्थन वाले निर्दलीय उम्मीदवार पर भरोसा जताती है।
मोहनिया विधानसभा में कुल जनसंख्या 4,68,066 है। कुल मतदाता 2,81,498 हैं, जिनमें पुरुष 1,45,865 और महिला 1,35,628 हैं। यह एससी आरक्षित सीट होने के कारण, जातीय समीकरणों में दलित वोटों की गोलबंदी निर्णायक साबित होगी।
स्थानीय लोगों के अनुसार, विकास से जुड़े मुद्दे ही यहां चुनाव का एजेंडा तय करते हैं:
जनता टूटी सड़कों से परेशान है। स्थानीय लोगों का दावा है कि कई बार शिकायत के बावजूद भी उनकी सुध नहीं ली गई। यहां पर बिजली की आपूर्ति घंटों बाधित रहती है। साथ ही, बाढ़ से काफी परेशानी हो रही है, जिससे हर साल जन-जीवन प्रभावित होता है। सरकारी स्कूलों की हालत खराब है, जिससे युवाओं को उच्च शिक्षा के लिए बाहर जाना पड़ता है। स्थानीय लोगों के अनुसार, वे ऐसी सरकार और ऐसा प्रतिनिधि चाहते हैं, जो यहाँ की बुनियादी समस्याओं को दूर करें।
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मोहनिया विधानसभा सीट Bihar Assembly Election 2025 में एक हाई-वोल्टेज और अप्रत्याशित मुकाबले के लिए तैयार है। एक तरफ भाजपा की संगीता कुमारी हैं, जो अपनी पिछली जीत के दम पर एनडीए के गढ़ को बचाना चाहती हैं, तो दूसरी तरफ राजद समर्थित निर्दलीय रवि पासवान हैं, जो नामांकन रद्द होने के बाद उपजे सहानुभूति लहर को भुनाना चाहते हैं। इस कांटे की टक्कर में, स्थानीय विकास के मुद्दे और दलित वोटों की गोलबंदी ही जीत का फैसला करेंगे।






