सेना के जवान इन बाइक का करते है इस्तेमाल। (सौ. X)
नवभारत ऑटो डेस्क: भारतीय सेना की मोटरसाइकिल परंपरा की शुरुआत रॉयल एनफील्ड बुलेट 350 से होती है। इसकी दमदार आवाज और टिकाऊ डिज़ाइन ने इसे वर्षों तक सैनिकों का भरोसेमंद साथी बनाए रखा। पहले इसे लंदन से आयात किया जाता था, लेकिन इसकी मजबूती ने इसे सेना की पहचान बना दिया। समय के साथ 500cc मॉडल ने और अधिक पावर और टॉर्क के साथ इसका स्थान लिया, जो कठिन इलाकों में भी सेना की जरूरतों पर खरा उतरा।
रॉयल एनफील्ड के साथ-साथ भारतीय सेना ने सीमित संख्या में यामाहा आरडी350 को भी अपनाया। इसकी 2-स्ट्रोक ताकतवर इंजन और बेहतरीन कंट्रोलिंग ने इसे एक ‘बैटल मशीन’ बना दिया। “इसकी बैलिस्टिक शक्ति ने इसे सिर्फ एक बाइक नहीं, बल्कि एक विरासत बना दिया।”
हालांकि जावा का इस्तेमाल सीमित था, लेकिन इस ब्रांड ने भारतीय सेना के साथ मजबूत संबंध बनाए रखा। आज भी कंपनी सेना की सेवा को सलाम करते हुए कार्यक्रम आयोजित करती है।
नई पीढ़ी की जरूरतों के अनुसार सेना ने रॉयल एनफील्ड हिमालयन 411 को अपनाया। पहाड़ी और दुर्गम इलाकों के लिए बनी यह बाइक बेहतरीन ग्राउंड क्लीयरेंस और ऑफ-रोड क्षमताओं से लैस है, जो हर मोर्चे पर सेना की ताकत बढ़ा रही है।
सेना का मोटरसाइकिल बेड़ा समय के साथ तकनीकी रूप से परिपक्व हुआ है। आधुनिक मॉडल न सिर्फ संचालन क्षमता बढ़ाते हैं, बल्कि सेना के पर्यावरणीय दायित्वों को भी दर्शाते हैं।
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इन बाइकों ने सिर्फ़ युद्ध भूमि में नहीं, बल्कि आम जनता के दिलों में भी जगह बनाई है। ये दोपहिया वाहन सेना की बहादुरी, आत्मबल और देशभक्ति के प्रतीक बन चुके हैं।