Electric vehicle में क्या करना चाहिए। (सौ. Freepik)
EV Battery Life: भारतीय ऑटोमोबाइल बाजार में इलेक्ट्रिक वाहनों (EVs) की मांग तेजी से बढ़ रही है। पेट्रोल-डीजल की लगातार बढ़ती कीमतें और सरकार की सब्सिडी योजनाओं ने लोगों को EV की ओर आकर्षित किया है। हालांकि, खरीदारों के मन में सबसे बड़ा सवाल यही रहता है कि EV बैटरी कितने साल चलती है और खराब होने के बाद उसका क्या किया जाता है। यह सवाल इसलिए भी अहम है क्योंकि किसी भी EV की कुल कीमत का लगभग 40 प्रतिशत हिस्सा सिर्फ बैटरी पर आधारित होता है।
ज्यादातर इलेक्ट्रिक वाहनों में लिथियम-आयन बैटरियों का इस्तेमाल किया जाता है। इनकी उम्र कई कारकों पर निर्भर करती है। सामान्य तौर पर एक EV बैटरी 6 से 8 साल तक आराम से चल सकती है, जबकि कुछ प्रीमियम वाहनों की बैटरियां 10 साल तक बैकअप देने में सक्षम होती हैं। कई कंपनियां अपनी बैटरियों पर 7 से 8 साल तक की वारंटी भी देती हैं। इसका मतलब है कि इस अवधि में बैटरी कम से कम 70-80 प्रतिशत क्षमता बनाए रखती है।
EV बैटरी समय के साथ चार्जिंग क्षमता खो देती है, जिसे बैटरी डिग्रेडेशन कहा जाता है। पहले 2-3 साल बैटरी स्थिर रहती है, लेकिन उसके बाद हर साल इसकी क्षमता में 2-3 प्रतिशत की कमी आ सकती है। लगभग 8 साल बाद बैटरी की क्षमता 70 प्रतिशत तक रह जाती है। उदाहरण के लिए, यदि नई EV एक बार चार्ज करने पर 400 किमी चलती थी, तो 8 साल बाद वही गाड़ी सिर्फ 280-300 किमी की रेंज दे पाएगी।
बैटरी की उम्र पूरी होने के बाद भी यह पूरी तरह बेकार नहीं होती।
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भारत सरकार ने EV बैटरियों की सेकंड-लाइफ और रीसाइक्लिंग के लिए गाइडलाइंस जारी की हैं। कई स्टार्टअप और बड़ी कंपनियां इस क्षेत्र में उतर चुकी हैं। आने वाले समय में बैटरी रीसाइक्लिंग एक बड़ा उद्योग बनेगा, जिससे ई-वेस्ट की समस्या कम होगी और नई बैटरियों की लागत भी घटेगी।