E-bus में इन तीन को हुआ फायदा। (सौ. X)
PLI Scheme E-Bus: भारत सरकार ने Clean Mobility को बढ़ावा देने के लिए ऑटोमोबाइल और ऑटो पार्ट्स क्षेत्र में ₹26,000 करोड़ की उत्पादन-आधारित प्रोत्साहन योजना (PLI-Auto) शुरू की थी। लेकिन दिलचस्प यह है कि 18 में से सिर्फ तीन ऑटोमोबाइल कंपनियां ही इसमें क्वालीफाई कर पाई हैं।
Tata Motors, Eka Mobility और Volvo Eicher Commercial Vehicles, इन कंपनियों को आठ मॉडल्स की ई-बसों के लिए मंजूरी मिली है। बाकी 15 कंपनियां या तो अभी भी तैयारी में हैं या फिर शायद उन्हें चीनी पार्ट्स के बिना बसें बनाना गणित के पेपर जैसा लग रहा है।
भारत सरकार ने ई-बसों को सड़क पर उतारने के लिए PM E-drive और PM eBus Sewa जैसी योजनाएं भी शुरू की हैं। इनका लक्ष्य है 14,028 बसों की लागत घटाना और 10,000 ई-बसें सड़कों पर उतारना। लेकिन असली तस्वीर यह है कि देश के कुल बस बेड़े का यह हिस्सा मात्र 2% है। इसी पर ICCT इंडिया के एमडी अमित भट्ट ने सवाल उठाते हुए कहा: “सरकारी योजनाएं शहरी बसों तक सीमित हैं, जबकि भारत का 98% बस बाज़ार अब भी विद्युतीकरण से कोसों दूर है। असली चुनौती वहीं है।”
PLI योजना का सबसे बड़ा नियम है 50% पुर्ज़े भारत में ही बनने चाहिए। अब समस्या यह है कि ज़्यादातर हाई-टेक पुर्ज़े चीन से आते हैं। भट्ट का कहना है: “तकनीकी चुनौती यह है कि कई पुर्ज़े भारत में बन ही नहीं सकते, और आर्थिक चुनौती यह है कि जो बन सकते हैं, वे आयात की तुलना में महंगे पड़ते हैं। समाधान सिर्फ एक है, ई-बसों की बड़ी मांग पैदा कर पैमाना बढ़ाना, ठीक वैसे ही जैसे चीन ने किया।”
वित्त वर्ष 2026 की पहली छमाही में ही 2,000 से अधिक ई-बसों का पंजीकरण हुआ। FY25 में बिक्री थोड़ी घटी और यह 3,300 इकाइयों तक सीमित रही, जबकि FY24 में यह 3,500 थी। पहले वर्ष यानी FY25 में सरकार ने ₹322 करोड़ की राशि Tata Motors, M&M, Ola Electric और Toyota Kirloskar को दी। FY26 में यह आंकड़ा ₹2,000 करोड़ तक पहुंचने की उम्मीद है।
नई योजनाओं में सरकार का झुकाव अब निजी वाहनों से हटकर सार्वजनिक परिवहन पर है। PM E-drive स्कीम में ₹10,900 करोड़ में से ₹4,391 करोड़ सिर्फ ई-बसों के लिए आवंटित किए गए हैं। पहले की FAME योजनाओं में स्कूटर्स और तीन-व्हीलर्स को खूब सब्सिडी मिली थी, लेकिन बसों को केवल “बस-इतनी ही मदद” दी गई। अब PM E-drive के तहत 14,028 बसें FY28 तक प्रोत्साहित की जाएंगी।
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आर्थिक सर्वेक्षण में मुख्य आर्थिक सलाहकार वी. अनंथा नागेश्वरन ने साफ कहा कि भारत को निजी गाड़ियों से ज्यादा सार्वजनिक परिवहन का विद्युतीकरण प्राथमिकता देनी चाहिए। “बसें, मेट्रो और अन्य साधनों को जोड़कर इंटीग्रेटेड ट्रांसपोर्ट सिस्टम बनाना ही नेट ज़ीरो लक्ष्यों की ओर असली कदम होगा।”
ई-बसें आज सिर्फ एक विकल्प नहीं, बल्कि भारत के ऊर्जा संक्रमण और आयात निर्भरता घटाने की अनिवार्यता बन चुकी हैं। सरकार योजनाएं बना रही है, कंपनियां जूझ रही हैं, और यात्री उम्मीद कर रहे हैं कि अगली बार जब वे बस पकड़ें तो धुएं की जगह ताज़ी हवा का आनंद लें।