
CNG की कार की बढ़ रही कीमत। (सौ. Pixabay)
CNG Cars India: भारत में CNG कारों की लोकप्रियता लगातार बढ़ रही है। बढ़ते पेट्रोल-डीजल के दामों के बीच लोग अब अधिक माइलेज और किफायती सफर की तलाश में सीएनजी वाहनों को प्राथमिकता दे रहे हैं। इन कारों से पेट्रोल या डीजल के मुकाबले बेहतर माइलेज तो मिलता है, लेकिन एक असुविधा हर ड्राइवर को झेलनी पड़ती है CNG भरवाते समय कार से उतरना अनिवार्य होता है। यह नियम सिर्फ औपचारिकता नहीं, बल्कि सुरक्षा के लिहाज से बेहद जरूरी है। आइए जानते हैं, आखिर ऐसा क्यों करना पड़ता है।
CNG को करीब 200 से 250 PSI (पाउंड प्रति वर्ग इंच) के दबाव पर भरा जाता है। ऐसे में जरा-सी लीक होने पर भारी विस्फोट या आग लगने का खतरा रहता है। इसलिए, कार में बैठे रहना बेहद खतरनाक हो सकता है।
यदि किसी कारण से गैस लीक हो जाए, तो कार के अंदर बैठे यात्रियों के लिए सांस लेने में तकलीफ, बेहोशी या विस्फोट का खतरा बन सकता है। बाहर खड़े रहने से खतरे के समय तुरंत बचाव संभव होता है।
कार के अंदर बैठे रहने पर कपड़ों की रगड़ से Static Electricity बन सकती है। गैस लीक की स्थिति में यह छोटी सी चिंगारी आग का कारण बन सकती है।
CNG की गंध कई लोगों को सिरदर्द, चक्कर या उल्टी जैसी समस्या दे सकती है। इसलिए, भराई के दौरान कार से बाहर रहना स्वास्थ्य के लिए भी सुरक्षित है।
CNG टंकी का ओवरफिल होना दबाव बढ़ा सकता है, जिससे ब्लास्ट का जोखिम होता है। ड्राइवर के बाहर रहने से वह भराई प्रक्रिया पर नजर रख सकता है।
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कई कारों में CNG किट बाहर के मैकेनिक से लगाई जाती है, जिनमें फिटिंग या लीकेज की समस्या रह सकती है। ऐसे मामलों में सावधानी और भी जरूरी हो जाती है।
करीब 15 साल पहले भारत में पहली फैक्ट्री-फिटेड CNG कारें आई थीं। मारुति सुजुकी ने साल 2010 में Alto, WagonR और Eeco जैसी गाड़ियों में CNG विकल्प देना शुरू किया था। इससे पहले, कार मालिकों को मार्केट से किट फिट करानी पड़ती थी। अब नई पीढ़ी की CNG कारें न सिर्फ अधिक माइलेज देती हैं बल्कि सुरक्षा और टेक्नोलॉजी के मामले में भी एडवांस हो चुकी हैं। सरकार भी तेल पर निर्भरता घटाने और प्रदूषण कम करने के लिए CNG वाहनों को बढ़ावा दे रही है।






