सिलक्यारा टनल रेस्क्यू मिशन
नई दिल्ली/उत्तरकाशी: आखिरकार उत्तरकाशी टनल (Uttarkashi Tunnel Rescue) में 17 दिन तक चला अनेकों मुश्किल वाला रेस्क्यू मिशन (Tunnel Rescue Mission) पूरी तरह से कामयाब रहा। बीते मंगलवार को सिलक्यारा टनल (Silkyara Tunnel) में फंसे सभी 41 मजदूर सुरंग से सुरक्षित बाहर निकाल लिए गए।
#WATCH | Medical checkup of 41 workers who were successfully rescued from Silkyara Tunnel is underway at Chinyalisaur Community Health Centre pic.twitter.com/hMkaSqu1eQ — ANI (@ANI) November 29, 2023
इस कामयाबी के पीछे रेस्क्यू टीम के लगातार इतने दिनों तक बिना थके, बिना रुके किये अथक परिश्रम के चलते यह मिशन परवान चढ़ा। बाधाएं यो कई आईं-मुश्किलों ने भी तो बहुत पेरशान किया। मगर जीवट रेस्क्यू टीम ने हौसला नहीं छोड़ा। इसमें धैर्य के साथ अन्दर फंसे मजदूरों ने भी पूरा साथ दिया और जिंदगी एक बार फिर मौत और मुश्किलों से अपनी जंग जीत गई।
#WATCH | Security deployed outside the Community Health Center in Uttarakhand’s Chinyalisaur, where workers rescued from the Silkyara tunnel have been admitted for primary medical treatment pic.twitter.com/KVawa27aUn — ANI (@ANI) November 29, 2023
इन सबके बीच उन अंदर फंसे मजदूरों के परिवारवालों का धैर्य और उत्तराखंड और केंद्र सरकार पर उनका विश्वास भी तो जरुरी था, जिन्होंने ऐसे जबरदस्त तनाव वाले मौके पर अपना धैर्य नही खोया और हमेशा इसी बात पर विश्वास रखा कि उनके लोग जरुर बाहर आएंगे। आइये जानते हैं ऐसे ही कुछ लोगों का अनुभव उनकी जुबानी।
#WATCH | Priest offers prayers at the temple built at the mouth of Silkyara tunnel after successful evacuation of all 41 workers pic.twitter.com/KSB2ijMrGp — ANI (@ANI) November 29, 2023
उत्तरकाशी के सिल्क्यारा सुरंग से बचाए गए श्रमिकों में से एक श्रमिक सोनू की मां कहती हैं, “मैं बहुत खुश हूं। मैं सरकार और सभी बचाव दल के सदस्यों को धन्यवाद देती हूं।मेरे बेटे ने कहा है कि वह दो दिन में वापस लौट आएगा।” वहीँ टनल से बचाए गए श्रमिक राम सुंदर की मां धनपति ने कहा, “हम बहुत खुश हैं।।। कल शाम को हमने दिवाली मनाई, पूरे गांव ने कल खुशी से दिवाली मनाई।”
#WATCH | Chapra, Bihar: Mother of Sonu, one of the workers who was rescued from the Uttarkashi tunnel, said, “I am very happy. I thank the government and all the rescue team members… My son has said that he will return after two days.” (28.11) pic.twitter.com/q9YbNBTmsV — ANI (@ANI) November 29, 2023
इसके साथ ही बचाए गए श्रमिक राम सुंदर की पत्नी शीला ने भावविभोर होते हुए कहा, “हम बहुत खुश हैं, कल हमने उनसे फोन पर बात की थी। हम केंद्र सरकार और बचाव कर्मियों का धन्यवाद करते हैं। हमारे पूरे गांव में बहुत खुशी है।” बचाए गए श्रमिक संतोष कुमार की मां ने खुश होते हुए कहा, “हमारी संतोष से फोन पर बात हुई है, अभी वह अस्पताल में है। आज हमने दिवाली मनाई है।।। हम केंद्र सरकार और बचाव कर्मियों का धन्यवाद करते हैं।”
#WATCH श्रावस्ती, उत्तर प्रदेश: उत्तरकाशी के सिल्कयारा सुरंग से बचाए गए श्रमिक राम सुंदर की पत्नी शीला ने कहा, “हम बहुत खुश हैं, कल हमने उनसे फोन पर बात की थी। हम केंद्र सरकार और बचाव कर्मियों का धन्यवाद करते हैं। पूरे गांव में बहुत खुशी है।” pic.twitter.com/rlhN3nVWYQ — ANI_HindiNews (@AHindinews) November 29, 2023
#WATCH | Shravasti, Uttar Pradesh: Mother of worker Santosh Kumar, who was rescued from the Silkyara tunnel in Uttarkashi, said, “We have spoken to Santosh on the phone, and he is currently in the hospital. Today we celebrated Diwali… We thank the central government and the… pic.twitter.com/qx6xMvK9G1 — ANI (@ANI) November 29, 2023
वहीं पश्चिम बंगाल के कूच बिहार में भी उत्तरकाशी के सिल्कयारा सुरंग से बचाए गए श्रमिकों में से एक श्रमिक के परिवार ने उनके सफलतापूर्वक बचाए जाने की सूचना मिलने के बाद जश्न मनाया। यही असम के कोकराझार में भी हुआ।
#WATCH | Cooch Behar, West Bengal: Family members of Manik Talukdar, one of the workers who was rescued from the Uttarkashi tunnel, celebrated and had a conversation with him through video conferencing. (28.11) pic.twitter.com/pbCsCkE41P — ANI (@ANI) November 29, 2023
#WATCH कोकराझार, असम: उत्तरकाशी के सिल्क्यारा सुरंग से बचाए गए श्रमिकों में से एक श्रमिक राम प्रसाद नरज़ारी के परिवार के सदस्यों ने जश्न मनाया। (28.11) pic.twitter.com/STOYnNLDjT — ANI_HindiNews (@AHindinews) November 29, 2023
इस बात पर कूच बिहार श्रमिक माणिक तालुकदार के बेटे ने कहा, “हमें बहुत खुशी है कि वे सुरंग से बाहर निकल गए।17 दिन हमें बहुत ही चिंता थी। अभी वे(माणिक तालुकदार) ठीक हैं।”
#WATCH | Cooch Behar, West Bengal: Son of Manik Talukdar, said, “We are very happy that they came out of the tunnel… For 17 days we were very worried… Now he (Manik Talukdar) is fine.” (28.11) https://t.co/6pvHNah59y pic.twitter.com/6Di8foTvye — ANI (@ANI) November 29, 2023
इधर लखीमपुर खीरी से बचाए गए श्रमिक मंजीत की मां ने कहा, “हम बहुत खुश हैं, हमने आज दिवाली मनाई है। हमारा एक ही बेटा है। 17 दिन कैसे बीते हैं यह सिर्फ भगवान और हम ही जानते हैं। 17 दिन हमारे लिए अंधेरा था, आज उजाला हुआ है। मैं केंद्र और राज्य सरकार का धन्यवाद करती हूं।”
#WATCH लखीमपुर खीरी: सिल्कयारा सुरंग से बचाए गए श्रमिक मंजीत की मां ने कहा, “हम बहुत खुश हैं, हमने आज दिवाली मनाई है। हमारा एक ही बेटा है। 17 दिन कैसे बीते हैं यह सिर्फ भगवान जानते हैं। 17 दिन हमारे लिए अंधेरा था, आज उजाला हुआ है। मैं केंद्र और राज्य सरकार का धन्यवाद करती हूं।” https://t.co/hzm2AkBZvl pic.twitter.com/jabNHBNIbO — ANI_HindiNews (@AHindinews) November 29, 2023
#WATCH | Lakhimpur Kheri, Uttar Pradesh: Celebrations begin at the residence of Manjit, a worker who was trapped in the Silkyara Tunnel in Uttarkashi. All the 41 trapped workers have been successfully evacuated. pic.twitter.com/j1NUkoIUy2 — ANI (@ANI) November 28, 2023
देखा जाए तो उत्तरकाशी की टनल में फंसे मजदूरों के सामने सबसे बड़ी चुनौती उनका धैर्य बनाए रखने की ही थी, लेकिन 17 दिन तक वह लगातार इस कठिन परीक्षा में पास हुए। सुरंग से बाहर निकलते वक्त सभी 41 मजदूरों के खिलखिलाते चेहरे उस जीत के गवाह थे जो वे जैसे हर पल मौत से दो-दो हाथ लड़कर जीते थे।
सिर्फ इन बचाए गए मजदूर ही नहीं सलाम तो उन रक्षकों को भी किया जाना चाहिए तो इन कठिन और दुरूह 17 दिनों तक बिना रुके, बिना थके फंसे मजदूरों को बचाने के लिए जुटे रहे। उनके सामने मुश्किलों से भरा और थका देने वाला पहाड़ था, फिर पल-पल पर अनेकों बाधाएं भी तो थीं, लेकिन न डिगे न हौसला छोड़ा और सबने मिलकर मुश्किलों का पहाड़ चीर सभी 41 जिंदगियां बचा लीं।
वो कहते हैं न कि, ‘जीत-हार’ दरअसल आपकी सोच पर ही तो निर्भर होती है। अगर मान लो तो ‘हार’ है, लेकिन साहस, संयम और धैर्य के साथ ठान लो तो जीत निश्चित है। यहां 17 दिनों तक चली यह जंग और कुछ नहीं बस साहस, संयम और धैर्य के मजबूत धागों के ताने-बाने की ही तो कहानी है,जो पहाड़ का सीना को चीर कर लिखी गई है।