नई दिल्ली: आम तौर पर वायरस (Virus) और मैलवेयर (Malware), ये दो ऐसे शब्द हैं जिन्हें लेकर लोगों में बहुत कंफ्यूजन या दुविधा है। हम-आप अक्सर इन्हें एक ही चीज मान लेते हैं, लेकिन दोस्तों, हकीकत में ऐसा है नहीं। अब ऐसा नहीं है तो Malware और Virus, दोनों के बीच का आखिर अंतर क्या है? तो आइए इस सवाल के जवाब से भी आप लोगों को वाकिफ करते हैं।
जानकारी दें की मैलवेयर शब्द का इस्तेमाल दरअसल ‘खतरनाक सॉफ्टवेयर’ के लिए किया जाता है। दरअसल दूर बैठे किसी भी डिवाइस का ‘अनऑथोराइज्ड एक्सेस’ पाने के लिए इस खतरनाक सॉफ्टवेयर को डिजाइन किया जाता है या बनाया जाता है। ये ‘खतरनाक सॉफ्टवेयर’ दूर से ही किसी के भी डिवाइस को इंफेक्ट कर सकता है। इस सॉफ्टवेयर का उपयोग दरअसल किसी भी डिवाइस से आपकी जानकारी चुराने या फिर डिवाइस को नुकसान पहुंचाने के लिए होता है।
वायरस दरअसल एक तरह का मैलवेयर ही है, लेकिन ‘वायरस’ का काम किसी भी फाइल को इंफेक्ट करना होता है। जब भी आप किसी फाइल या फिर डिवाइस में किसी प्रोग्राम को रन करते हैं तो यह ‘वायरस’ डिवाइस में फैल जाता है। इस ‘वायरस’ अटैक से आपके डिवाइस की प्रोसेसिंग स्पीड पर असर तो पड़ता ही है, वहीं ऐप लोड होने से पहले क्रैश होने लगता है, फाइल्स करप्ट होने लगती हैं और फाइल्स गायब होने लगती हैं।
इधर ‘मालवेयर’ किसी भी डिवाइस पर अटैक कर निजी जानकारी, कार्ड डिटेल्स, पेमेंट डिटेल्स जैसी जरूरी जानकारियों को हैक करने का काम करता है। Malware हो या फिर Virus, अगर इनमें से कोई भी आपके किसी भी डिवाइस में है तो समझ जाइए कि आपके लिए मुश्किल खड़ी होने को है। वायरस का फुल-फॉर्म Vital Information Resources under Siege है।