डोनाल्ड ट्रंप- शी जिनपिंग, फोटो (सो. सोशल मीडिया)
बीजिंग: चीन ने एक बार फिर अमेरिका को चेतावनी दी है कि वह ताइवान के मामलों में दखल न दे। चीन ने यह बयान अमेरिकी रक्षा मंत्री पीट हेगसेथ द्वारा सिंगापुर में हुए एक प्रमुख शिखर सम्मेलन में दिए गए बयानों के जवाब में दिया है। सम्मेलन में हेगसेथ ने कहा था कि चीन एशिया में शक्ति संतुलन को बदलने के लिए सैन्य कार्रवाई की कर रहा है।
उन्होंने आरोप लगाया कि चीन ताइवान पर हमले की तैयारी में लगा है। चीन ने इस पर सख्त प्रतिक्रिया देते हुए अमेरिका को ‘आग से न खेलने’ की चेतावनी दी और कहा कि ताइवान के मामले में अमेरिका को हस्तक्षेप न करते हुए दूर रहने की सलाह दी है।
चीन ताइवान को अपना क्षेत्र मानता है, जो एक स्वशासित द्वीप है, और उसने ज़रूरत पड़ने पर सैन्य बल के ज़रिए इसे एकीकृत करने की कसम खाई है। दूसरी ओर, ताइवान की सरकार बीजिंग के संप्रभुता के दावों को खारिज करती है और कहती है कि केवल ताइवान के लोग ही अपने भविष्य का फैसला कर सकते हैं। ताइवान का तर्क है कि चीन ने कभी भी उस पर शासन नहीं किया है और वह एक स्वतंत्र देश है। हालांकि, अमेरिका सहित विश्व की प्रमुख शक्तियां ताइवान को एक स्वतंत्र राष्ट्र के रूप में मान्यता नहीं देती हैं।
चीन के विदेश मंत्रालय ने हेगसेथ की टिप्पणी पर कड़ी आपत्ति जताते हुए कहा कि ताइवान पूरी तरह से चीन का आंतरिक मामला है, और इसमें बाहरी ताकतों का दखल पूरी तरह से अस्वीकार्य है। मंत्रालय ने विदेशी शक्तियों को चेतावनी दी कि वे इस मुद्दे का लाभ उठाने की कोशिश न करें। उसने अमेरिका की क्षेत्रीय नीतियों को एशिया-प्रशांत में अस्थिरता फैलाने वाला करार दिया और कहा कि अमेरिका ताइवान मुद्दे को चीन पर दबाव बनाने के लिए सौदेबाजी की वस्तु के रूप में इस्तेमाल करने का भ्रम न पालें। मंत्रालय ने अमेरिका को आग से खेलने के खतरों के प्रति भी आगाह किया।
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हेगसेथ ने एशिया-प्रशांत क्षेत्र के देशों, विशेष रूप से ऑस्ट्रेलिया जैसे प्रमुख सुरक्षा सहयोगियों से, चीन से उत्पन्न “वास्तविक और संभावित आसन्न” खतरों के मद्देनजर अपनी रक्षा पर अधिक खर्च करने की अपील की। दूसरी ओर, बीजिंग ने अमेरिका को इस क्षेत्र में “अस्थिरता फैलाने वाली शक्ति” करार दिया। चीन ने वाशिंगटन पर दक्षिण चीन सागर में आक्रामक हथियार तैनात करने और क्षेत्रीय तनाव को बढ़ावा देने का आरोप लगाया।
चीन ने हेगसेथ पर यह आरोप लगाया कि उन्होंने चीन को बदनाम करने के लिए “झूठे और अपमानजनक आरोप” लगाए और क्षेत्रीय शांति के प्रयासों को नजरअंदाज किया। बीजिंग के अनुसार, हेगसेथ ने शीत युद्ध जैसी मानसिकता को बढ़ावा दिया और चीन को एक काल्पनिक खतरे के रूप में पेश करने का प्रयास किया।