ट्रंप बार-बार मुनीर को क्यों बुला रहे हैं अमेरिका, ( डिजाइन फोटो)
Pakistan US Relations: पाकिस्तान के सेना प्रमुख दो महीने में दूसरी बार अमेरिका जाकर राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से मिले हैं। इन लगातार मुलाकातों ने तरह-तरह के सवाल और अटकलें पैदा कर दी हैं। चर्चा के दो बड़े पहलू सामने आ रहे हैं पहला, अमेरिका का प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ को दरकिनार कर सीधे पाक सेना प्रमुख से बात करना और दूसरा, ट्रंप की इस रणनीति के पीछे असल मकसद क्या है।
क्या वह भारत को कोई विशेष संदेश देना चाहते हैं, या फिर मध्यपूर्व में ईरान के साथ बढ़ते तनाव के बीच पाकिस्तान को अपने पाले में बनाए रखना चाहते हैं?
यह मुलाकात भारत के लिए यह निश्चित रूप से एक बड़ा झटका है। पाकिस्तान को आतंकवाद के मुद्दे पर वैश्विक मंच पर बेनकाब करने में भारत ने जो मेहनत की थी, वह इन नए रिश्तों से कमजोर होती दिख रही है। ऐसा भी प्रतीत होता है कि भारत के ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के बावजूद अमेरिका पाकिस्तान के साथ नजदीकी बढ़ा रहा है। कुछ विश्लेषकों का आकलन है कि यह कदम कहीं अमेरिका की पुरानी ‘पाकिस्तान-प्राथमिकता’ वाली नीति की वापसी तो नहीं है। कांग्रेस और भारतीय रक्षा सचिव ने इसे भारत की कूटनीतिक रणनीति के लिए “गंभीर झटका” करार दिया है।
ट्रंप-मुनीर की जोड़ी
पाकिस्तान इस समय अमेरिका और चीन, दोनों को साधने की कोशिश में है। ट्रंप भारत पर सख्त और पाकिस्तान पर नरम दिख रहे हैं, जबकि वॉशिंगटन पाक आर्मी चीफ आसिम मुनीर को प्रधानमंत्री से ज्यादा तवज्जो दे रहा है। वहीं, मुनीर ने हाल ही में बीजिंग में चीनी नेताओं से मुलाकात कर रिश्ते मजबूत किए। चीन ने पाकिस्तान को भरोसेमंद साझेदार बताया और रक्षा, आतंकवाद विरोध व सैन्य अभ्यास में सहयोग जारी रखने का आश्वासन दिया। पाकिस्तान के 81% हथियार अब भी चीन से आते हैं।
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पाकिस्तान में औपचारिक नेतृत्व भले ही पीएम शाहबाज़ शरीफ़ के पास हो, लेकिन असली सत्ता आर्मी चीफ असिम मुनीर के पास है। फील्ड मार्शल पदोन्नति के बाद उनका प्रभाव बढ़ा है, जिसे विशेषज्ञ इसे सैन्य शासन की शुरुआत मानते हैं, जहां सरकार सेना की कठपुतली बन गई है। भारत द्वारा पाकिस्तान के आतंकवादी ठिकानों पर की गई सैन्य कार्रवाई को भी असिम मुनीर ने अपने राजनीतिक फायदा लिए उठाया है।
पहली बार जून के अंत में बुलाए गए पाक सेना प्रमुख आसिम मुनीर फिर से दूसरी बार अगस्त में व्हाइट हाउस पहुंचकर डोनाल्ड ट्रंप से मिले। ट्रंप ने मुनीर की शांति प्रयासों की सराहना की, जबकि मुनीर ने उन्हें नोबेल शांति पुरस्कार के लिए नामित किया। माना जा रहा है कि अमेरिका, पाकिस्तान में असली ताकत मुनीर को मानते हुए, उनके साथ रक्षा, खनिज और क्रिप्टोकरंसी पर गुप्त साझेदारी बढ़ाना चाहता है।
डोनाल्ड ट्रंप और मुनीर
इसका सीधा मतलब है कि पाकिस्तान में लोकतंत्र को पीछे धकेल दिया गया है और लोकतंत्र की बात करने वाला अमेरिका भी अब सेना को मान्यता दे रहा है। हालात साफ दिखाते हैं असीम मुनीर को बार-बार व्हाइट हाउस बुलाना और प्रधानमंत्री को नजरअंदाज करना इस बात का इशारा है कि सैन्य नेतृत्व ने लोकतांत्रिक सरकार को पीछे कर दिया है और खुद सत्ता का असली केंद्र बन बैठा है।
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ट्रंप को लग रहा है कि पाकिस्तान के आर्मी चीफ आसिम मुनीर में मजबूत नेतृत्व क्षमता है। उन्हें ऐसे नेता पसंद आते हैं जिनमें तानाशाही जैसी ठसक हो, और मुनीर का व्यक्तित्व भी उन्हें ‘स्ट्रॉन्गमैन’ की तरह नजर आ रहा है। संभव है कि मध्य पूर्व के तनावपूर्ण हालात में ट्रंप पाकिस्तान को अपने पाले में बनाए रखना चाहते हों। उनका मानना है कि अगर इजरायल और ईरान के बीच दोबारा युद्ध की स्थिति बनी, तो पाकिस्तान एक मध्यस्थ की भूमिका निभा सकता है।