
ब्रिटेन, फ्रांस और यूक्रेन के नेता एक साथ, फोटो (सो. सोशल मीडिया)
US Plan Leaked: अमेरिका की कथित नेशनल सिक्योरिटी स्ट्रैटजी के लीक दस्तावेज ने यूरोप में भारी राजनीतिक हलचल पैदा कर दी है। इस कथित दस्तावेज में दावा किया गया है कि अमेरिका फ्रांस, ब्रिटेन और जर्मनी की मौजूदा सत्ताधारी पार्टियों को सत्ता से बेदखल करने की योजना बना रहा है। हालांकि, अमेरिकी प्रशासन ने इन आरोपों को सिरे से खारिज करते हुए कहा है कि ऐसा कोई दस्तावेज है ही नहीं और यह पूरी तरह फर्जी है।
ब्रिटेन के टेलीग्राफ की रिपोर्ट के अनुसार, यह दस्तावेज यूरोप को अलग-थलग करने की एक बड़ी रणनीति की ओर इशारा करता है। दस्तावेज ऐसे समय में सामने आया है जब यूरोप यूक्रेन युद्ध को लेकर पहले से ही दबाव में है और रूस के प्रति उसकी मजबूती पर सवाल उठ रहे हैं।
लीक दस्तावेज में दावा किया गया है कि अमेरिका यूरोप के भीतर प्रतिरोध को प्रतिरोध से ही कमजोर करने की रणनीति अपना रहा है। इसके लिए संबंधित देशों में राष्ट्रवादी पार्टियों को बढ़ावा देने की बात कही गई है।
फ्रांस- राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों के खिलाफ नेशनल रैली की नेता मरीन ली पेन को समर्थन देने का संकेत दिया गया है। चूंकि 2027 में फ्रांस में चुनाव होने हैं, इसलिए यह रणनीति राजनीतिक रूप से महत्वपूर्ण मानी जा रही है।
ब्रिटेन- प्रधानमंत्री कीर स्टार्मर की लेबर पार्टी को हटाकर रिफॉर्म पार्टी को आगे लाने की बात कही गई है। रिफॉर्म पार्टी ब्रिटेन में राष्ट्रवादी धड़े की प्रमुख आवाज मानी जाती है और स्टार्मर की नीतियों की धुर विरोधी है।
जर्मनी- चांसलर फ्रेडरिक मर्ज की सरकार के खिलाफ राइट विंग पार्टी ‘एएफडी’ को मजबूत करने का सुझाव बताया जा रहा है। एएफडी का हाल के वर्षों में जर्मनी में तेजी से उदय हुआ है और पूर्व राष्ट्रपति ट्रंप इसके प्रति समर्थन दिखाते रहे हैं।
दस्तावेज में हंगरी, पोलैंड, इटली और ऑस्ट्रिया जैसी राइट-विंग शासित सरकारों वाले देशों को यूरोप की मुख्यधारा से अलग करने की रणनीति का भी जिक्र है। खास तौर पर इटली की प्रधानमंत्री जॉर्जिया मेलोनी को ट्रंप का करीबी माना जाता है जो कई मौकों पर उनके समर्थन में बयान दे चुके हैं।
दस्तावेज के एक हिस्से में यह भी कहा गया है कि अमेरिका को ऐसी पार्टियों, आंदोलनों और सांस्कृतिक हस्तियों का समर्थन करना चाहिए, जो पारंपरिक यूरोपीय मूल्यों, संप्रभुता और अमेरिका समर्थक विचारधारा के पक्ष में हों।
इस विवाद के बीच राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने हाल ही में यूरोप को लेकर बड़ा बयान दिया था। पॉलिटिको को दिए इंटरव्यू में ट्रंप ने कहा कि यूरोप पतन की ओर बढ़ रहा है और उसका वैश्विक प्रभाव जल्द खत्म हो जाएगा। इस टिप्पणी ने पहले से मौजूद राजनीतिक तनाव को और बढ़ा दिया है।
यह भी पढ़ें:- थाईलैंड-कंबोडिया युद्ध की आग विश्व धरोहर तक, प्रीह विहार मंदिर हुआ क्षतिग्रस्त; भारत ने जताई चिंता
अमेरिका द्वारा दस्तावेज को फर्जी करार देने के बावजूद यूरोपीय राजनीति में इस लीक का असर साफ दिखाई दे रहा है। विशेषज्ञ इसे अमेरिका-यूरोप संबंधों में बढ़ते अविश्वास का संकेत मान रहे हैं।






