
प्रीह विहार मंदिर, फोटो (सो. सोशल मीडिया)
India Concern On Preah Vihear: थाईलैंड और कंबोडिया के बीच वर्षों पुराने सीमा विवाद ने एक बार फिर गंभीर रूप ले लिया है। संघर्ष के दौरान प्राचीन और यूनेस्को द्वारा संरक्षित विश्व धरोहर स्थल, प्रीह विहार मंदिर के संरक्षण केंद्र को क्षति पहुंचने की रिपोर्ट सामने आई है। इस घटना पर भारत ने गहरी चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि किसी भी सांस्कृतिक विरासत को होने वाला नुकसान पूरी मानवता के लिए अत्यंत दुखद है।
विदेश मंत्रालय ने शुक्रवार को जारी बयान में कहा कि भारत इस ऐतिहासिक स्थल के संरक्षण से सीधे तौर पर जुड़ा रहा है और इसकी सुरक्षा बेहद महत्वपूर्ण है। मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा कि हमने प्रीह विहार में संरक्षण सुविधाओं को हुए नुकसान की रिपोर्ट देखी है। ऐसी किसी भी सांस्कृतिक धरोहर को नुकसान पहुंचना दुखद और चिंता का विषय है। यह स्थल मानवता की साझा संपत्ति है।
भारत ने दोनों देशों से संयम बरतने, संघर्ष विराम लागू करने और मंदिर परिसर व संरक्षण केंद्र की सुरक्षा सुनिश्चित करने की अपील की है। भारत का कहना है कि इस क्षेत्र में बढ़ते तनाव को रोकने और संवाद बहाल करने के लिए तत्काल कदम उठाना आवश्यक है, जिससे स्थिति और न बिगड़े।
प्रीह विहार मंदिर, कंबोडिया के पहाड़ी क्षेत्र के किनारे स्थित भगवान शिव को समर्पित एक प्रतिष्ठित संरचना है। यूनेस्को के अनुसार, यह मंदिर लगभग 800 मीटर लंबे अक्ष पर बने कई पवित्र स्थलों, मार्गों और सीढ़ियों से मिलकर बना है। इसकी स्थापना 11वीं शताब्दी के प्रारंभिक काल में हुई थी और यह दक्षिण-पूर्व एशिया की महत्वपूर्ण सांस्कृतिक धरोहरों में गिना जाता है।
इधर सीमा पर दोनों देशों के बीच तनाव बढ़ता जा रहा है। रविवार से भड़के संघर्ष में दोनों एक-दूसरे पर हमले शुरू करने का आरोप लगा रहे हैं। कंबोडिया के रक्षा मंत्रालय के अनुसार, अब तक 10 कंबोडियाई नागरिकों की मौत हो चुकी है, जिनमें एक शिशु भी शामिल है। वहीं 60 से अधिक नागरिक घायल हुए हैं। कंबोडिया के गृह मंत्रालय ने बताया कि करीब 56,000 परिवार यानी लगभग 1.9 लाख लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया गया है।
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उधर थाईलैंड की ओर भी हालात गंभीर बने हुए हैं। देश के रक्षा मंत्रालय के प्रवक्ता सुरासंत कोंगसिरी ने बताया कि संघर्ष में 9 थाई सैनिक मारे गए हैं, जबकि 120 से अधिक घायल हुए हैं। थाईलैंड में करीब 2 लाख नागरिकों को शरण शिविरों में रहने के लिए मजबूर होना पड़ा है।
सीमा पर बढ़ता तनाव न केवल मानवीय संकट को गहरा कर रहा है, बल्कि दक्षिण-पूर्व एशिया की सांस्कृतिक धरोहरों पर भी खतरा बढ़ाता जा रहा है। ऐसे में भारत समेत कई देश उम्मीद कर रहे हैं कि दोनों सरकारें जल्द बातचीत का रास्ता अपनाएं और क्षेत्र में शांति बहाल हो।






