वोलोडिमिर जेलेंस्की और डोनाल्ड ट्रंप, फोटो ( सो. सोशल मीडिया )
नवभारत इंटरनेशनल डेस्क: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप आखिरकार यूक्रेनी राष्ट्रपति वोलोदिमिर जेलेंस्की को मनाने में सफल रहे। अब यूक्रेन अमेरिका को अपने कीमती और दुर्लभ खनिज संसाधन उपलब्ध कराने को तैयार हो गया है। दोनों देशों के बीच एक महत्वपूर्ण आर्थिक साझेदारी समझौता हुआ है, जिसके तहत अमेरिका को यूक्रेन के दुर्लभ खनिजों तक सीधी पहुंच मिल सकेगी।
रूस-यूक्रेन युद्ध की शुरुआत 2022 में हुई थी, और तब से अमेरिका ने यूक्रेन को अरबों डॉलर की सैन्य व आर्थिक मदद दी है। जनवरी 2025 में जब डोनाल्ड ट्रंप दोबारा अमेरिका के राष्ट्रपति बने, तो उन्होंने इस सहायता के बदले यूक्रेन से आर्थिक लाभ की मांग शुरू कर दी। ट्रंप का कहना था कि अमेरिका ने यूक्रेन की मदद के लिए बड़ा वित्तीय बोझ उठाया है, इसलिए अब यूक्रेन को बदले में अपने प्राकृतिक संसाधनों खासकर दुर्लभ खनिजों तक अमेरिकी पहुंच सुनिश्चित करनी चाहिए।
जिसको लेकर आज अमेरिका और यूक्रेन ने एक अहम आर्थिक समझौते पर हस्ताक्षर किए, जो यूएस-यूक्रेन रिकंस्ट्रक्शन इन्वेस्टमेंट फंड के अंतर्गत लागू किया जाएगा। इस समझौते के तहत अमेरिका को यूक्रेन में मौजूद बहुमूल्य दुर्लभ खनिज (रेयर अर्थ मिनरल्स) तक पहुंच प्राप्त होगी। बदले में यूक्रेन को अमेरिका की ओर से आर्थिक सहयोग और युद्ध के बाद पुनर्निर्माण में सहायता मिलेगी। यह समझौता रूस-यूक्रेन युद्ध के दौरान अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की रणनीतिक दबाव नीति और भू-राजनीतिक योजना का एक अहम हिस्सा माना जा रहा है।
यूक्रेन के पास यूरोपीय संघ द्वारा चिन्हित 34 महत्वपूर्ण खनिजों में से 22 के भंडार मौजूद हैं, जिनमें लिथियम, कोबाल्ट और अन्य दुर्लभ पृथ्वी धातुएं शामिल हैं। ये खनिज आधुनिक तकनीक जैसे कि इलेक्ट्रिक वाहनों, सौर ऊर्जा प्रणालियों और कंप्यूटर चिप्स के निर्माण में बेहद जरूरी हैं। ट्रंप प्रशासन का मानना है कि यूक्रेन में मौजूद ये खनिज भंडार अमेरिका को रेयर अर्थ मेटल्स के लिए चीन पर अपनी निर्भरता घटाने में सहायता कर सकते हैं, क्योंकि वर्तमान में चीन इन खनिजों का सबसे बड़ा वैश्विक आपूर्तिकर्ता है।
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यूएस ट्रेजरी सेक्रेटरी स्कॉट बेसेंट ने कहा कि यह समझौता रूस को यह साफ संकेत देता है कि ट्रंप प्रशासन एक स्वतंत्र, संप्रभु और समृद्ध यूक्रेन के साथ दीर्घकालिक शांति स्थापित करने के लिए प्रतिबद्ध है। उनके अनुसार, राष्ट्रपति ट्रंप ने इस साझेदारी की कल्पना अमेरिका और यूक्रेन के नागरिकों के बीच स्थायी शांति और समृद्धि की दिशा में की थी। बेसेंट ने यह भी स्पष्ट किया कि जो भी व्यक्ति या देश रूस की युद्ध मशीन को आर्थिक या अन्य प्रकार की मदद देगा, उसे यूक्रेन के पुनर्निर्माण से कोई लाभ नहीं मिलेगा।
ट्रंप प्रशासन ने भले ही समझौते की पूरी जानकारी तुरंत साझा नहीं की, लेकिन अमेरिकी ट्रेजरी विभाग के एक प्रवक्ता ने यह स्पष्ट किया कि यह करार यूक्रेन की प्राकृतिक संसाधनों से संबंधित है। इस समझौते के तहत अमेरिकी इंटरनेशनल डेवलपमेंट फाइनेंस कॉर्पोरेशन (DFC) यूक्रेन के साथ मिलकर इस निवेश कोष की रूपरेखा तैयार करेगी।