तुर्की में ISIS के खिलाफ सबसे बड़ा प्रहार, फोटो (सो. एआई डिजाइन)
Turkey News In Hindi: तुर्की में इस्लामिक स्टेट (ISIS) के खिलाफ अब तक की सबसे बड़ी सुरक्षा कार्रवाइयों में से एक को अंजाम दिया गया है। महज दो दिनों के भीतर देशभर में छापेमारी कर 482 संदिग्धों को हिरासत में लिया गया है। गृह मंत्री अली यरलीकाया ने पुष्टि की है कि यह कार्रवाई नए साल पर संभावित आतंकी खतरों को देखते हुए की गई है।
जानकारी के अनुसार, तुर्की की सुरक्षा एजेंसियों ने पिछले 48 घंटों में एक सुनियोजित अभियान के तहत देश के 46 प्रांतों में बड़ी कार्रवाई की है। गृह मंत्री अली यरलीकाया के अनुसार, बुधवार सुबह 25 प्रांतों में चले ऑपरेशन में 125 ISIS संदिग्धों को पकड़ा गया, जबकि इससे ठीक एक दिन पहले यानी मंगलवार को 21 प्रांतों में हुई छापेमारी में 357 लोगों को हिरासत में लिया गया था।
इस तरह दो दिनों के भीतर कुल 482 संदिग्धों को सलाखों के पीछे भेजा जा चुका है। इस विशाल ऑपरेशन में तुर्की का खुफिया विभाग (Intelligence), नेशनल पुलिस का काउंटर टेररिज्म विभाग और स्थानीय पुलिस इकाइयां एकजुट होकर काम कर रही हैं।
अचानक बढ़ी सक्रियता का मुख्य केंद्र सोमवार को तुर्की के उत्तर-पश्चिमी शहर यालोवा (Yalova) में हुई भीषण मुठभेड़ को माना जा रहा है। सुरक्षा बलों और आतंकियों के बीच वहां करीब 8 घंटे तक गोलीबारी चली, जिसमें तीन पुलिसकर्मियों और छह संदिग्ध आतंकियों की जान चली गई। हालात की गंभीरता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि प्रशासन को एहतियात के तौर पर इलाके की बिजली-गैस सप्लाई रोकनी पड़ी और पांच स्कूलों को बंद करना पड़ा।
अधिकारियों के पास पुख्ता खुफिया जानकारी थी कि ISIS के स्लीपर सेल्स क्रिसमस और नए साल के जश्न के दौरान बड़े आत्मघाती हमलों की योजना बना रहे थे। इसी आशंका के चलते पिछले हफ्ते भी 100 से अधिक संदिग्धों को पकड़ा गया था। तुर्की के लिए यह खतरा ऐतिहासिक रूप से भी गंभीर रहा है, क्योंकि एक दशक पहले इस्तांबुल के नाइट क्लब और मुख्य हवाई अड्डे पर हुए हमलों में दर्जनों निर्दोष लोग मारे गए थे।
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इस साल सुरक्षा कार्रवाइयों में आई तेजी ने यह सवाल खड़ा कर दिया है कि क्या तुर्की फिर से ISIS गतिविधियों का ‘एपिसेंटर’ बनता जा रहा है। ऐतिहासिक रूप से तुर्की, सीरिया जाने वाले विदेशी लड़ाकों के लिए एक प्रमुख ट्रांजिट रूट रहा है। हालांकि 2017 के बाद से बड़े हमलों में कमी आई है, लेकिन हालिया गिरफ्तारियां दर्शाती हैं कि जमीन के नीचे आतंकी सेल्स अब भी सक्रिय हैं जिन्हें खत्म करने के लिए सरकार ने अब ‘जीरो टॉलरेंस’ की नीति अपनाई है।